संसद भवन के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति कोविंद का विदाई समारोह हुआ. राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों के द्वारा संयुक्त रूप से विदाई समारोह का आयोजन किया गया. रविवार यानी 24 जुलाई की मध्यरात्रि को उनका कार्यकाल कल पूरा हो रहा है.
इस कार्यक्रम में पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और दोनों सदनों के सांसद भी शामिल हुए. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सेंट्रल हॉल में पहुंचते ही पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने उनका स्वागत किया.
हालांकि सेंट्रल हॉल में हुए इस विदाई समारोह में सोनिया गांधी और राहुल गांधी मौजूद नहीं थे. कार्यक्रम की शुरूआत में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का संबोधन हुआ और फिर उन्होंने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को स्मृति चिन्ह भेंट किए.
इसके बाद निवर्तमान राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद संसद में विदाई भाषण दिया. फेयरवेल स्पीच में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि, “मुझे राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए देश के नागरिकों का हमेशा आभारी रहूंगा.”
उन्होंने कहा कि आपस में भले ही मतभेद हो लेकिन देश की पार्टियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए. पांच साल पहले, मैंने यहां सेंट्रल हॉल में भारत के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. मेरे दिल में सभी सांसदों के लिए खास जगह है. उन्होंने आजादी का अमृत महोत्सव, कोविड-19 के खिलाफ रिकॉर्ड टीकाकरण के लिए सरकार की सराहना भी की.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा अगर आप सरकार की किसी नीति से असहमत हैं तो संविधान में आपको विरोध प्रकट करने का अधिकार है. महात्मा गांधी ने विरोध प्रकट करने के लिए देश को अहिंसा का मार्ग दिखाया. हमें उनके विचारों और सीख को याद रखने की जरूरत है.
अपने विदाई भाषण में, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अपनी उत्तराधिकारी द्रौपदी मुर्मू को बधाई दी और उन्हें ‘प्रेरणादायक’ कहा. उन्होंने कहा कि उनकी जीत न केवल महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है बल्कि समाज में दलितों के लिए एक प्रेरणा भी है. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें यकीन है कि वह देश को आगे ले जाने के लिए अपने विशिष्ट मूल्यों, अनुभव और विवेक का उपयोग करेंगी.
बता दें कि, राम नाथ कोविंद 2017 में भारत के 14वें राष्ट्रपति बने थे. राम नाथ कोविंद एनडीए के उम्मीदवार थे और उन्होंने यूपीए की उम्मीदवार व लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार को हराया था. राष्ट्रपति बनने से पहले वे बिहार के राज्यपाल और राज्यसभा में संसद सदस्य भी रहे थे.