मुंबई, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जिला सहकारी बैंकों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। मनमाने कर्ज आबंटन पर शिकंजा कसते हुए आरबीआई ने कहा है कि अब कोई भी जिला सहकारी बैंक हाउसिंग सोसाइटियों की स्वयं पुनर्विकास परियोजनाओं के लिए लोन नहीं दे सकता है। क्योंकि यह ‘वाणिज्यिक अचल संपत्ति’ के दायरे में आता है, और ऋण नीति के खिलाफ है। भारतीय रिजर्व बैंक ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक को इस बारे में सूचित कर दिया है। उल्लेखनीय है कि एमएससीबी सभी जिला सहकारी बैंकों (डीसीबी) का संरक्षक बैंक है। आरबीआई ने साफ निर्देश दिया है कि सभी जिला सहकारी बैंकों को सहकारी हाउसिंग सोसाइटियों के स्व-पुनर्विकास के लिए ऋण के वितरण को रोकना चाहिए।
मुंबई डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के निदेशक अभिषेक घोषालकर ने कहा की वे नाबार्ड और आरबीआई से संपर्क करेंगे और उनसे ‘पुनर्विकास ऋण’ पर विचार करने का अनुरोध करेंगे, ताकि ‘वाणिज्यिक अचल संपत्ति’ के दायरे से बाहर हो सकें। यह हाउसिंग सोसाइटी के सदस्य द्वारा मंजूर किया जा सकता है।
जिला सहकारी बैंक आवास समितियों को कम दर पर ऋण प्रदान करने में बहुत मददगार होते हैं। राष्ट्रीयकृत बैंकों की तुलना में सस्ते दर पर स्वयं पुनर्विकास के लिए ऋण दिया जाता है। ऋण सोसायटी के कागजात को बंधक रखकर उसके खिलाफ दिया जाता है, इसलिए प्रक्रिया सुरक्षित रहती है। अतीत में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जहां बिल्डरों को छोड़कर परियोजनाएं बनी हुई हैं। इसके अलावा बिल्डर्स फ्लैट धारकों को किराए का भुगतान करना बंद कर देते हैं। ऐसे में सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने स्व पुनर्विकास योजना को सरकार ने बढ़ावा दिया था। इसके तहत दिसंबर 2019 में एक रिज़ॉल्यूशन (जीआर) भी जारी किया गया था, जिसमें एमडीसीसीबी भी शामिल था।