आम आदमी के लिए बुरी खबर सामने आई है। दरअसल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट इजाफे के बाद यह 5.40% से बढ़कर 5.90% हो गई है।
रेपो रेट बढ़ने का सीधा मतलब ये है कि बैंकों को अब रिजर्व बैंक से ज्यादा ब्याज दरों पर पैसा लेना होगा, जिससे सभी तरह के लोन महंगे हो सकते हैं। इसका असर कहीं न कहीं आपके लोन की किश्तों पर भी पड़ता है। आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक के बाद गर्वनर शक्तिकांत दास ने ये ऐलान किया है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा- आज महंगाई 7 फीसदी के आसपास है। हमें उम्मीद है कि साल की दूसरी छमाही में यह 6 फीसदी पर बनी रहेगी। उन्होंने कहा, “मुद्रास्फीति दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान है। ऐसे में एमपीसी को मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए सतर्क रहना होगा।” शक्तिकांत दास ने कहा कि पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पादन में सालाना आधार पर 13.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
बता दें कि इस वित्त वर्ष 2022-23 में रिजर्व बैंक अब तक चार बार रेपो रेट बढ़ा चुका है। मई में हुई मीटिंग में 40 बेसिस प्वाइंट की बढोतरी की थी। इसके बाद जून और अगस्त में भी इसमें 50-50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया। अगस्त में हुई मीटिंग में रेपो रेट को 4.90% से बढ़ाकर 5.40% कर दिया गया था।
देश में बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहा है, लेकिन फिर भी देश में महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक की तय सीमा से ज्यादा है। वहीं, आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने से होम, पर्सनल और कार लोन जैसे लोन की ब्याज दरों में इजाफा होगा, जिसके चलते ईएमआई बढ़ जाएगी।
रेपो रेट्स में बढ़ोतरी से कॉस्ट ऑफ बॉरोइंग यानी उधारी की लागत बढ़ जाएगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि रेपो रेट बढ़ने से बैंकों की बॉरोइंग कॉस्ट बढ़ जाएगी। इससे लोन लेना महंगा हो जाएगा। रेपो रेट में किसी भी बदलाव से होम लोन का इंटरेस्ट रेट प्रभावित होता है। होम लोन के अलावा गाड़ियों पर लोन, एजुकेशन लोन, पर्सनल लोन और बिजनेस लोन भी महंगा हो जाएगा।