प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट(PMLA) पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act) के खिलाफ दायर याचिका को रद्द कर दिया है और इस कानून को सही बताया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी (ED) को समन भेजने और गिरफ्तारी का अधिकार है।
बता दें कि PMLA के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया था कि इसके प्रावधान कानून के खिलाफ हैं। पैसे को इधर-उधर भेजने के आरोप में भी PMLA का मुकदमा चलता रहता है और इसका इस्तेमाल गलत तरीके से किया जाता है। याचिका में ये भी कहा गया था कि इस एक्ट में अधिकारियों को मनमाने अधिकार दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के तहत गिरफ्तारी के ED के अधिकार को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा, ED की गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने ये फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी, रेड, समन, बयान समेत PMLA एक्ट में ED को दिए गए सभी अधिकारों को सही ठहराया है। इसके साथ ही, पीएमएलए कानून के खिलाफ दायर याचिका को भी सर्वोच्च अदालत की ओर से रद्द कर दिया गया है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कानून में फाइनेंस बिल के जरिए किए गए बदलाव के मामले को 7 जजों की बेंच में भेज दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जांच के दौरान ED, SFIO, DRI अधिकारियों के सामने दर्ज बयान भी वैध सबूत हैं।
इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत की बेंच ने कहा, आरोपी को ECIR (शिकायत की कॉपी) देना भी जरूरी नहीं है। यह काफी है कि आरोपी को यह बता दिया जाए कि उसे किन आरोपों के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में पीएमएलए के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए 100 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई थीं। इसमें ईडी की शक्तियों, गिरफ्तारी के अधिकार, गवाहों को समन व संपत्ति जब्त करने के तरीके और जमानत प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी। याचिकाएं कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम, एनसीपी नेता अनिल देशमुख व अन्य की ओर से दायर की गई थीं।
याचिकाओं में कहा गया था कि पीएमएलए कानून के तहत गिरफ्तारी, जमानत, संपत्ति की जब्ती का अधिकार सीआरपीसी के दायरे से बाहर हैं। इस कानून के कई प्रावधान असैंवधानिक हैं, क्योंकि संज्ञेय अपराध की जांच और ट्रायल के बारे में दी गई प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है। याचिकाओं में कहा गया कि जांच एजेंसी को जांच करते समय सीआरपीसी का पालन करने के लिए बाध्य होना चाहिए। इस मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी समेत कई वकीलों ने अपना पक्ष रखा था।
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सेक्शन 18 वैध बताया साथ ही सेक्शन 19 में हुआ बदलाव भी करार किया है. सेक्शन 24 भी वैध है साथ ही 44 में जोड़ी गई उपधारा भी सही बतायी गई है। दरअसल, दायर याचिका में PMLA के कई प्रावधान कानून के खिलाफ बताए गए थे. दलीलों में इस्तेमाल गलत तरीके से किए जाने की बात की थी।
कितने लोग अब तक दोषी पाए गए
लोकसभा में बीते सोमवार को केंद्र सरकार ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि 17 साल पहले कानून के लागू होने के बाद PMLA के तहत दर्ज 5,422 मामलों में केवल 23 लोग ही दोषी ठहराए गए। जबकि 31 मार्च, 2022 तक करीब 1,04,702 करोड़ रुपये की संपत्ति ईडी ने PMLA के तहत अटैच की है और 992 मामलों में चार्जशीट दायर की है। इसमें 869.31 करोड़ रुपए जब्त किए गए हैं और 23 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है।