संगठन के हस्तक्षेप के बाद जागा प्रशासन, बाहरी कर्मचारियों के सामने अनेक दिक्कतें
मुंबई- लॉकडाउन के बाद जारी अनलॉक प्रक्रिया में बेस्ट की सेवाओं को सुगम बनाने उतरी एसटी कर्मचारियों के सामने आवासीय समस्या उत्पन्न हो गयी है जिसके चलते उन्हें मजबूरन डिपो में खड़ी बसों में ही सोना पड़ रहा है. अत्यावश्यक सेवा के तहत मुंबई आए 200 से अधिक एसटी ड्राइवरों और कंडक्टरों को आवास की कमी के कारण रहने एवं सोने की दिकक्त हुई. साथ ही एसटी द्वारा खाने का उचित प्रबंध नहीं करने के कारण वड़ा पाव आदि नाश्तों पर निर्भर होना पड़ा.
मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली बेस्ट बसों में जब भीड़ होने लगी तो सरकार ने एसटी की मदद ली. लगभग 1000 एसटी बसों को मुंबई के बाहर से लाने का आदेश दिया गया है। अब तक 800 बसे आ चुकी हैं. जिसे चलाने के लिए 10 जिलों से 100 ड्राईवर आ रहे हैं। आठ से दस दिनों के लिए एसटी ड्राइवर मुंबई आते हैं और अपनी ड्यटी कर वापस चले जाते हैं. उसके बाद उनकी जगह दूसरे ड्राइवर आते हैं। इस प्रक्रिया में ड्राइवरों को मुंबई में डिपो के पास एक साधारण होटल में ठहराया जाता है। पुणे और सांगली जिलों के 200 से अधिक ड्राइवर मंगलवार दोपहर मुंबई आए उनके रहने खाने की उचित व्यवस्था नहीं होने से उनको असुविधाओं का सामना करना पड़ा। सूत्रों के अनुसार आवास की कमी के कारण मजबूरन चालक रात भर मुंबई सेंट्रल डिपो में बसों के ऊपर सोते रहे, जबकि कुछ चालक बसों के नीचे सो गए। रात भर मच्छरों और मूसलाधार बारिश ने कईयों की नींद उड़ा दी। जैसे ही यूनियन के प्रतिनिधियों को इसकी जानकारी मिली उन्होंने आधी रात तक प्रशासन से व्यवस्था बनाने के लिए चर्चा की। अगले दिन बुधवार की सुबह गोरेगांव के एक होटल में रहने की व्यवस्था किया गया। ड्राइवरों के लिए आवास और भोजन की व्यवस्था करना एसटी प्रशासन की जिम्मेदारी है।लेकिन वह ध्यान नहीं दे सकी. महाराष्ट्र राज्य परिवहन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संदीप शिंदे के अनुसार प्रशासन को इन समस्याओं को दूर करना चाहिए। मंगलवार को पहुंचे एसटी चालक-परिचालक को एक होटल में ठहराया गया। लेकिन होटल प्रशासन बुकिंग करते समय भ्रम में था. उसके बाद उनके लिए दूसरे होटल में रुकने की व्यवस्था की गयी। एसटी कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक शेखर चन्ने के अनुसार बेस्ट सर्विस के लिए आने वाले ड्राइवरों को कोई असुविधा न हो इसका ध्यान रखा जा रहा है।
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