महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच जारी सियासी संघर्ष को लेकर बड़ी खबर है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई की.
महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता मामले में सुनवाई को फिलहाल टाल दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में बेंच गठित की जाएगी। इस प्रक्रिया में समय लगेगा।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव गुट को भी राहत देते हुए महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को आदेश दिया है कि जब तक मामले में सुनवाई पूरी नहीं हो जाती। स्पीकर कोई निर्णय नहीं लेंगे।
दरअसल, उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि कल अयोग्यता का मामला विधानसभा में सुना जाएगा। जब तक सुप्रीम कोर्ट सुनवाई नहीं करता, तब तक स्पीकर को निर्णय लेने से रोक दिया जाए। इस पर सीजेआई ने विधायकों की अयोग्यता पर किसी भी फैसले पर रोक लगा दी है।
दरअसल, शिवसेना में बगावत के बाद विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने 16 विधायकों को नोटिस जारी कर उनकी योग्यता पर सवाल खड़े किए थे। इस नोटिस के खिलाफ शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इसी मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों पक्षों को विधायकों की योग्यता-अयोग्यता मामले में किसी भी प्रकार की कार्रवाई से रोक दिया है।
एक दिन पहले ही विधानसभा सचिव ने शिवसेना के 55 विधायकों में से 53 को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इनमें से 39 विधायक एकनाथ शिंदे के खेमे के और 14 विधायक उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के हैं। शिवसेना में विद्रोह के बाद से उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले दोनों खेमे बार-बार खुद को असली शिवसेना होने का दावा कर रहे है।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के अधिकतर विधायकों ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी और उससे एनसीपी और कांग्रेस से संबंध तोड़ने को कहा था। पार्टी में विद्रोह के कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी जिसके बाद 30 जून को शिंदे ने मुख्यमंत्री के रूप में और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के देवेंद्र फडणवीस ने उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।