गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. बिलकिस बानो ने 13 मई को आए कोर्ट के आदेश पर दोबारा विचार की मांग की है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट की जज न्यायामूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने दुष्कर्म और हत्या मामले के 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के फैसले को चुनौती देने वाली बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है.
सुप्रीम कोर्ट में बिलकिस बानो की याचिकाओं पर मंगलवार को जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की पीठ को सुनवाई करनी थी. लेकिन, जस्टिस बेला ने सुनवाई से पहले ही बेंच से खुद को अलग कर लिया. हालांकि उन्होंने ऐसा करने की वजह नहीं बताई है.
जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि मामला किसी दूसरी बेंच को सौंप दीजिए. फिलहाल बिलकिस की याचिका पर सुनवाई टल गई है. अब दूसरी बेंच मामले की सुनवाई करेगी. इसकी तारीख के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं आई है.
उल्लेखनीय है कि बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की हैं. पहली याचिका में उन्होंने एक दोषी की याचिका पर शीर्ष अदालत के 13 मई, 2022 के आदेश की समीक्षा की मांग की है. कोर्ट में अपने आदेश में गुजरात सरकार से 9 जुलाई, 1992 की एक नीति के तहत दोषियों की समय से पहले रिहाई की याचिका पर विचार करने को कहा था. वहीं, दूसरी याचिका में बिलकिस बानो ने गुजरात सरकार के दोषियों के रिहा करने के फैसले को चुनौती है. जिस पर आज न्यायामूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायामूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ में सुनवाई होनी थी, लेकिन न्यायामूर्ति त्रिवेदी ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया.
बिलकिस बानो के साथ हुआ था गैंगरेप
गुजरात में गोधरा कांड के बाद 3 मार्च 2002 को दंगे भड़के थे। दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में रंधिकपुर गांव में उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर में घुस गई. दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थीं. तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे 5 महीने की गर्भवती थीं. दंगाइयों ने बिलकिस का गैंगरेप किया. उनकी मां और तीन और महिलाओं का भी रेप किया गया. इस दौरान हमलावरों ने बिलकिस के परिवार के 17 सदस्यों में से 7 लोगों की हत्या कर दी. वहीं, 6 लोग लापता पाए गए, जो कभी नहीं मिले. हमले में सिर्फ बिलकिस, एक शख्स और तीन साल का बच्चा ही बचे थे.