ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की जिला अदालत को ट्रांसफर कर दिया है. अब मुकदमे से जुड़े सभी मामले जिला जज ही देखेंगे. आठ हफ्ते तक सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश लागू रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को 8 हफ्ते का अंतरिम आदेश जारी किया था.
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम जिला जज पर सवाल नहीं उठा सकते, उनके पास 25 सालों का अनुभव है. इसके साथ ही कोर्ट ने ‘शिवलिंग’ मिलने वाले स्थान को सील रखने और मुस्लिमों को सीमित संख्या में नमाज पढ़ने देने और अलग स्थान पर वजू करने के अपने अंतरिम आदेश को भी जारी रखा है. कोर्ट ने कहा कि 17 मई को लागू किया गया यह आदेश 8 सप्ताह यानी 17 जुलाई तक लागू रहेगा. उसके बाद ही इस मामले की शीर्ष अदालत में सुनवाई होगी.
शुरुआती जानकारी के मुताबिक, कोर्ट ने अपने सुझाव में कहा है कि जिला कोर्ट को सीमा से आगे जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती. इस पूरी कार्यवाही के दौरान दोनों समुदायों के बीच शांति और भाईचारा बना रहना चाहिए. हमें संतुलन बनाए रखना चाहिए. वहीं, हिंंदू पक्ष ने कोर्ट में कहा कि वाराणसी कोर्ट की सोच पर सवाल नहीं उठाना चाहिए था. कोर्ट ने इसके जवाब में कहा कि हम जिला कोर्ट को निर्देश नहीं देंगे. जिला जज को पहले तय करना होगा कि क्या करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट के बारे में मुस्लिम पक्ष से कहा कि हम हर तथ्य पर गौर करेंगे. सर्वे की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए था. कोर्ट में ही रिपोर्ट खोली जानी चाहिए थी. हम हर तथ्य पर गौर करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आठ हफ्ते तक अंतरिम आदेश लागू रहेगा. शिवलिंग की सुरक्षा की जानी चाहिए.
इस संबंध में हिंदू पक्षकारों के वकील विष्णु जैन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 17 मई को जो आदेश कोर्ट की ओर से दिया गया था. वह बरकरार रहेगा. उन्होंने पक्षकारों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि अब इस पूरे मामले की सुनवाई वाराणसी कोर्ट को ही करनी है. उनके निर्णय पर अभी हम कोई कमेंट नहीं करेंगे.
वहीं, उन्होंने शिवलिंग मिलने वाले स्थान के बारे में कहा कि शिवलिंग की सुरक्षा के साथ ही मुस्लिम पक्ष के लिए वुजु के पूरे इंतजाम किए जाएंं. गर्मी की छुट्टियों के बाद सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई की जाएगी. यानी अब इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जुलाई में होगी.