पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी को 2018 में अपने एक अंगरक्षक की मौत के मामले में सोमवार को गिरफ्तारी से राहत मिल गई. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अपने मौखिक आदेश में कहा कि उन्हें सीआईडी की तरफ से जारी समन के संदर्भ में अभी कोई कार्रवाई करने की जरूरत नहीं है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि उसकी मंजूरी के बिना अधिकारी को मौजूदा और भविष्य के किसी मामलों में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पूर्व सहयोगी और तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आए शुभेंदु को इसी मामले में आज राज्य आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) के समक्ष पेश होना था, लेकिन व्यस्त होने की वजह से वो हाजिर नहीं हो सके. शुभेंदु अधिकारी को उनके अंगरक्षक शुभव्रत चक्रवर्ती की मौत के मामले की जांच के सिलसिले में यहां भवानी भवन स्थित सीआईडी के मुख्यालय में जांच अधिकारियों के समक्ष सोमवार को पेश होने को कहा गया था.
सीआईडी के एक अधिकारी ने बताया, ‘उन्होंने सुबह करीब साढ़े नौ बजे हमें मेल किया जिसमें कुछ राजनीतिक व्यस्तताओं का हवाला देते हुए कहा कि वह यहां आकर हमारे अधिकारियों से नहीं मिल सकेंगे.’
एजेंसी के एक सूत्र ने बताया कि अधिकारी की ओर से मेल प्राप्त होने के बाद सीआईडी ने जांच के अगले संभावित कदमों पर विचार विमर्श करने के लिए बैठक की. बैठक में यह विचार किया गया कि क्या शुभेंदु को और समन भेजे जाने चाहिए. शुभेंदु अधिकारी से इस बारे में बात नहीं हो सकी है. जांच दल के सदस्य मामले की जांच के सिलसिले में अधिकारी के आवास भी गए थे.
शुभेंदु अधिकारी के अंगरक्षक शुभव्रत चक्रवर्ती ने अक्टूबर 2018 में अधिकारी के कांथी आवास के बाहर सुरक्षा शिविर में अपनी सर्विस रिवॉल्वर से कथित रूप से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में सीआईडी अब तक 11 पुलिसकर्मियों समेत 15 से अधिक लोगों से पूछताछ कर चुकी है. राज्य सशस्त्र पुलिस के जवान चक्रवर्ती उस समय से अधिकारी के सुरक्षा घेरे में शामिल थे जब वह तृणमूल कांग्रेस के सांसद थे. अधिकारी 2015 में जब प्रदेश सरकार में मंत्री बने, तब भी चक्रवर्ती उनके सुरक्षा दस्ते में शामिल रहे.