अपनी पत्नी की हत्या करने के लिए उम्र कैद की सजा काट रहे 80 साल के स्वामी श्रद्धानंद ने सुप्रीम कोर्ट से रिहाई की गुहार लगाई है। उन्होंने दलील दी है कि अब तो राजीव गांधी के हत्यारों को भी छोड़ दिया, तो मुझे भी छोड़ दिया जाए। स्वामी श्रद्धानंद के वकील ने चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के पास याचिका दायर की है। श्रद्धानंद अपनी पत्नी शकीरा की हत्या के आरोप में 1994 से जेल में सजा काट रहे हैं।
वकील बोले- ये समानता के अधिकार का उल्लंघन
श्रद्धानंद के वकील वरुण ठाकुर ने मुख्य चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली और जे बी पर्दीवाला की पीठ के सामने दलील दी कि दोषी को हत्या के आरोप में बिना छूट या पैरोल के आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। स्वामी श्रद्धानंद पहले ही बिना किसी से मिले 29 साल जेल में बिता चुके हैं।
ठाकुर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों की वजह से 1991 में 16 लोग मारे गए थे और 43 घायल हुए थे। उन्हें 30 साल की कैद के बाद पैरोल पर रिहा कर दिया गया है। यह समानता के अधिकार के उल्लंघन का एक मामला है। वरुण ठाकुर की दलील के बाद पीठ सुनवाई के लिए याचिका को जल्द सूचीबद्ध करने पर सहमत हुई।
इस मामले में जल्दी सुनवाई के लिए निवेदन करते हुए ठाकुर ने कहा कि याचिकाकर्ता 80 साल से ज्यादा उम्र के हैं और मार्च 1994 से जेल में हैं। मृत्युदंड के दोषी के रूप में उन्हें तीन साल के लिए बेलगाम जेल के एकांत कारावास में रखा गया था और वह कई बीमारियों से भी पीड़ित थे।
उन्होंने कहा कि छूट और पैरोल देने की उनकी याचिका 2014 में दायर की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किए जाने के बाद से यह बिना किसी सुनवाई के लंबित है।

जानिए क्यों सजा काट रहे स्वामी श्रद्धानंद
मैसूर के एक पूर्व दीवान सर मिर्जा इस्माइल की पोती शकीर ने ऑस्ट्रेलिया और ईरान में भारत के पूर्व राजदूत रहे अकबर खलीली से शादी तलाक देकर खत्म कर दी थी। इसके एक साल बाद 1986 में शकीरा ने श्रद्धानंद से शादी की थी।
श्रद्धानंद पर आरोप है कि उसने 600 करोड़ की संपत्ति हड़पने के लिए शकीर को 1991 में नशीला पदार्थ देकर बेंगलुरु के रिचमंड रोड पर बने बंगले के में जिंदा दफन कर दिया था। बाद में पुलिस ने शकीर की बॉडी खोदकर निकाली। इसके बाद 30 अप्रैल 1994 को श्रद्धानंद को अरेस्ट किया गया।
2000 में एक ट्रायल कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई थी। 2005 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने सजा ज्यों की त्यों रखी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने श्रद्धांनद की अपील पर 2008 में मौत की सजा को बिना किसी छूट के उम्रकैद में बदल दिया था।
राजीव हत्याकांड के सभी दोषी रिहा
राजीव गांधी हत्याकांड के सभी 6 दोषी रिहा हो गए। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के एक घंटे बाद ही उम्रकैद की सजा काट रहे सभी दोषियों की रिहाई हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को इसी केस में दोषी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था। बाकी दोषियों ने भी उसी आदेश का हवाला देकर कोर्ट से रिहाई की मांग की थी