काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर विवाद के तहत कोर्ट के आदेश पर कराए गए सर्वे के अंतिम दिन कार्यवाही के दौरान तहखाने के तालाब में शिवलिंग मिला। इसके बाद इस प्रकरण में सोमवार को ही अदालत में जहां शिवलिंग मिला उस स्थान को सील करने की मांग वाली याचिका दायर की गई।
इस पर कोर्ट ने कलेक्टर वाराणसी को उस स्थान को सील करने का आदेश जारी कर दिया। इसी के साथ वहां पर किसी भी व्यक्ति को जाने की अनुमति न दी जाए। इसके लिए जिम्मेदारी जिला प्रशासन और सीआरपीएफ को दी गई है।
कोर्ट ने इसको लेकर अधिकारियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी तय कर दी है। आदेश में वाराणसी कोर्ट की ओर से कहा गया कि जिला अधिकारी, पुलिस कमिश्नर और सीआरपीएफ कमांडेंट को आदेशित किया जाता है कि वह उस स्थान को सील कर दें।
इसी के साथ उस जगह को संरक्षित औऱ सुरक्षित करने की पूर्णतः जिम्मेदारी अधिकारियों की व्यक्तिगत रूप से मानी जाएगी। आपको बता दें कि सोमवार को सर्वे के दौरान ही शिवलिंग मिलने को लेकर चर्चाएं हुई। इसी के बाद मामले को लेकर कोर्ट ने यह आदेश दिया है।
ज्ञात हो कि हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कोर्ट में इसको लेकर याचिका दी। याचिका में मांग की गई थी कि जिस जगह पर शिवलिंग मिला है उसे सील किया जाए इसको लेकर वाराणसी के जिला जज में याचिका को स्वीकार कर लिया है। बताया गया कि शिवलिंग उस जगह पर मिला है जहां वजू किया जाता था।
लिहाजा कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया गया है। इसकी जिम्मेदारी अधिकारियों को दे दी गई है। शिवलिंग मिलने के बाद वादी पक्ष के लोगों में खासा उत्साह देखा गया था। जिसके बाद ही इस जगह को संरक्षित करने के लिए याचिका दाखिल की गई थी।
वहीं, सर्वे करके बाहर निकले वादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने दावा किया कि हम जिस चीज के लिए सर्वे की मांग कर रहे थे वह 100 प्रतिशत बल्कि उससे ज्यादा हमें मिल गया है। वादी पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि शायद हमारा सौभाग्य है कि हम ऐसे इंसान है जिन्होंने 1669 के बाद पहली बार दर्शन किये हैं। सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि काशी के लिए आज का दिन स्वर्णिम इतिहास बनकर सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। वहीं नंदी के सवाल पर उन्होंने कहा कि नंदी महादेव की तरफ ही मुँह करके रहती हैं और उन्होंने ही यह आभास कराया कि बाबा विश्वनाथ कहां हैं।