भारत में 1 जुलाई से 19 सिगंल यूज प्लास्टिक उत्पाद बैन हो जाएंगे. इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA) के तहत अधिसूचना जारी की गई है. सरकार 75 माइक्रोन से पतली प्लास्टिक के उपयोग पर रोक लगाने जा रहा है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि सरकार ने उद्योग जगत और आम जनता को सिंगल यूज प्लास्टिक (SUP) के उत्पादों पर पाबंदी की तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया है और उसे उम्मीद है कि 1 जुलाई से इसे लागू करने में सभी का सहयोग मिलेगा.
पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA) के तहत 19 एसयूपी उत्पादों को उपयोग से बाहर करने के लिए अधिसूचना जारी की गयी है और किसी भी तरह के उल्लंघन पर जुर्माना या जेल की सजा समेत दंडनीय कार्रवाई का सामना करना होगा. इस बारे में विवरण अधिनियम की धारा 15 में है.
1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक के आइटम जैसे ईयरबड्स, गुब्बारे की प्लास्टिक डंडी, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की प्लास्टिक डंडी, आइसक्रीम की प्लास्टिक डंडी, थर्माकॉल के सजावटी सामान, प्लास्टिक की प्लेट, कप, ग्लास, कांटे, चम्मच, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बे पैक करने वाली पन्नी, इनविटेशन कार्ड पर लगाई जाने वाली पन्नी, सिगरेट पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली पन्नी, 100 माइक्रोन से पतले पीवीसी व प्लास्टिक के बैनर आदि शामिल हैं।
अधिकारियों के अनुसार पिछले काफी समय से इन उत्पादों के निर्माता, स्टॉकिस्ट, सप्लायर और डिस्ट्रिब्यूशन करने वालों को निर्देश दिए जा रहे हैं। जुलाई के पहले हफ्ते में जो नियम तोड़ेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो जाएगी। ऐसे उत्पादों का अवैध तरीके से निर्माण न हो पाए इसके लिए भी काम किया जाएगा।
इतना ही नहीं डीपीसीसी ने श्रीराम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च से एक सर्वे के लिए भी कहा है। इसमें ऐसे हॉटस्पॉट की पहचान की जा रही है जहां इस तरह के उत्पादों का इस्तेमाल अधिक होता है। इस सर्वे में संस्थान सभी बड़े कमर्शल स्पेस, मॉल, मार्केट, शॉपिंग सेंटर, सिनेमा, रेस्तरां, टूरिस्ट स्पॉट, धार्मिक स्थल, कॉलेज, स्कूल, ऑफिस कॉम्प्लेक्स, अस्पताल और अन्य संस्थानों की पड़ताल करेगा।
एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के कई उत्पाद प्रतिबंधित हो रहे हैं। आम लोगों पर प्रतिबंधित उत्पादों का इस्तेमाल करने पर 500 से दो हजार रुपये का जुर्माना होगा। वहीं औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पाद, आयात, भंडारण और बिक्री करने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत दंड का प्रावधान होगा। ऐसे लोगों पर 20 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर पांच साल की जेल या दोनों सजा भी दी जा सकती है। उत्पादों को सीज करना, पर्यावरण क्षति को लेकर जुर्माना लगाना, इनके उत्पादन से जुड़े उद्योगों को बंद करने जैसी कार्रवाई भी शामिल है।