दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच विवाद का मुद्दा छाया हुआ है। दिल्ली विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सदन में एलजी के खिलाफ रखे गए निंदा प्रस्ताव की चर्चा में सीएम केजरीवाल ने भाग लिया।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में अपने पक्ष रखते हुए कहा कि “इस सदन में बोलने के लिए इस सीट से मैं कई बार उठा, लेकिन आज बेहद दुख और भारी मन के साथ बातें रख रहा हूं। सबसे पहले तो मुझे इस बात का दुख है कि मेरे भारतीय जनता पार्टी के साथी अभी सदन में मौजूद नहीं हैं। ये बेहद गंभीर विषय है, जिसपर न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश में चर्चा हो रही है कि किसी भी राज्य में लोगों के द्वारा चुनी हुई सरकार की चलनी चाहिए? या किसी एक व्यक्ति विशेष कि चलनी चाहिए।”
इसके साथ ही इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए केजरीवाल ने कहा कि “इसके लिए मैं उपराज्यपाल (LG) से भी मिला और जो बात मेरी LG से हुई उसके बारे में भी मैं आज इस सदन के सामने विस्तार से रखूंगा।”
जिसके बाद केजरीवाल कहा कि “मेरी इच्छा थी कि BJP के साथी भी यहां मौजूद होते, ताकि इस चर्चा को एक कंस्ट्रक्टिव रूप दिया जा सकता। समय बड़ा बलवान होता है, दुनिया में कुछ स्थायी नहीं है। अगर कोई सोचता है कि वह हमेशा सत्ता में रहेगा, तो ऐसा नहीं होने वाला है। आज हम दिल्ली में सत्ता में हैं और वे (भाजपा) केंद्र में सत्ता में हैं, कल ऐसा हो सकता है कि हम केंद्र में सत्ता में होंगे। दिल्ली में हमारे LG हों, तब हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारा LG किसी भी राज्य सरकार को ऐसे तंग नहीं करेगा।”
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना पर निशाना साधते हुए कहा कि हम चुनी हुई सरकार की इज्जत करते हैं। हम लोगों की और लोगों के वोट, जनतंत्र व संविधान की इज्जत करते हैं। दिल्ली में 2 करोड़ रहते हैं, जिन्हें हमने हमेशा परिवार माना है। मैं यहां के बच्चों को अपने बच्चों से अलग नहीं मानता हूं, इसलिए जितनी अच्छी शिक्षा मैंने अपने बच्चों को दी है उतनी अच्छी शिक्षा मैं दिल्ली के एक-एक बच्चे को देना चाहता हूं। ये मेरा मकसद हैं।
सीएम ने कहा कि मैं दिल्ली का मुख्यमंत्री हूं। मेरे शिक्षा मंत्री ने 30 शिक्षकों काे प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने का फैसला लिया। मैंने अनुमति दे दी, बात पूरी हुई, मगर एलजी साहब ने फाइल रोक दी। वह भी एक बार नहीं, दो बार रोक दिया, जिससे साफ हाेता है जानबूझकर फाइल को रोका गया है।
उन्होंने उपराज्यपाल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव की चर्चा में कहा कि एलजी साहेब कह रहे हैं कि देश में शिक्षकों को प्रशिक्षण दिलवा लो। मैं कहता हूं कि एलजी कौन होते हैं रोकने वाले। जनता के टैक्स का पैसा, जनता के बच्चों के लिए बेहतर पढ़ाई कराने के लिए, शिक्षकों के प्रशिक्षण पर खर्च हो रहा है। बीच में एलजी आ गए। ये कौन हैं एलजी और कहां से बीच में आ गए, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 4 जुलाई 2018 को दिए गए आदेश में साफ कहा है कि एलजी को फैसला लेने के लिए अधिकार नहीं है। मैं चार दिन पहले एलजी साहब से मिलने गया था तो मैंने उन्हें यह आदेश पढ़कर सुनाया तो एलजी साहब ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट की राय हो सकती है।
केजरीवाल ने आगे कहा कि मैं इससे और ज्यादा कुछ नहीं कह सकता हूं। मैंने एलजी साहब से पूछा कि आप कौन हैं, मुझे तो जनता ने चुन कर भेजा है, तो एलजी साहब बोले कि मुझे राष्ट्रपति ने भेजा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं पढ़ाई में टॉपर रहा हूं। कभी मेरे टीचर ने ऐसे मेरा काम चेक नहीं किया, जैसे एलजी साहेब कर रहे हैं। एलजी साहेब ने गलत तरीके से नगर निगम के लिए 10 एल्डरमैन बना दिए हैं।
एलजी साहब आजकल मुख्य सचिव को आदेश भेज रहे हैं कि इसे चेयरमैन बना दो। उसे एल्डरमैन बना दो। दिल्ली में ये हो क्या रहा है? इन्होंने योग कक्षाएं बंद करा दीं, मोहल्ला क्लीनिक, जल बोर्ड का भुगतान और मार्शल का भुगतान रुकवा दिया। एलजी साहब ने कहा है कि निगम में भाजपा की 20 सीटें भी नहीं आ रही थीं, मेरी वजह से 104 सीटें आई थीं।
केजरीवाल ने कहा कि ये एलजी साहब आम आदमी पार्टी को बदनाम करने आए हैं। हम आंदोलन से निकले लोग हैं। हम देश की आजादी को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। हमें कुछ भी कुर्बानी देनी पड़ी तो हम उससे पीछे नहीं हटेंगे।केजरीवाल ने एलजी साहब के खिलाफ सदन में रखे गए प्रस्ताव का समर्थन किया।