विरार:- वसई विरार मनपा के नगररचना विभाग में उपसंचालक पदपर वाई एस रेड्डी की नियुक्ति सरकारी नियमों के खिलाफ है. महाराष्ट्र के इतिहास में शायद यह एकमात्र भ्रष्ट अधिकारी है जिसने एक सार्वजनिक प्रतिनिधि को अपनी कुटिलता को छिपाने के लिए 1 करोड़ रुपये के रिश्वत की पेशकश की और 25 लाख रुपये का भुगतान करते रंगेहाथ एंटीकरप्शन विभाग द्वारा पकड़े गए थे. जिसे तत्कालीन आयुक्त सतीश लोखंडे ने निलंबित किया था. ऐसे में वर्तमान में किया गया नियुक्ति सरकारी नियमों के विरुद्ध है. खिलाफ लिखित शिकायत देकर कार्रवाई की मांग वसई विरार भाजपा उपाध्यक्ष मनोज बारोट ने आयुक्त से कि है.
बारोट ने आयुक्त को दिए पत्र में बताया है कि सही मायने में यह भ्रष्ट अधिकारी वाय. एस.रेड्डी सिडको का कर्मचारी था, फिर भी उसने मा.न्यायालय में अपने आपको वसई विरार मनपा का कर्मचारी साबित किया था,इसलिए इस मामले को लेकर मैंने 29 जनवरी 2019 को एक लिखित पत्र तत्कालीन आयुक्त को देकर निवेदन किया था कि न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के विरूद्ध मनपा अपील फाइल करे, ताकि पता चले कि, इसने अपने आपको किस काग़जात के आधार पर वसई- विरार मनपा का कर्मचारी साबित किया ? उस वक़्त तत्कालीन आयुक्त द्वारा आश्वासन दिया गया था कि, हम इस निर्णय के विरूद अपील फाईल करेंगे. ऐसे में इस भ्रष्ट अधिकारी की नियुक्ति की जानकारी मिलते ही आयुक्त से मुलाकात कर बताया कि रेड्डी जैसे अनेक भ्रष्ट अधिकारियों को उसकी पुरानी जगह पर या उनकी मनचाही जगह पर नियुक्ति से महाराष्ट्र शासन की छवि धूमिल होती थी.
महाराष्ट्र शासन द्वारा एक परिपत्रक क्र 1112/प्र. क्र./82/11 दिनांक 20 अप्रैल 2013 को जारी किया गया था, जिसके अनुसार निलंबित अधिकारी को वापस काम पर रखते वक्त इस बात का ध्यान रखा जाए कि, जिस जिला या तालुका से अधिकारी को निलंबित किया गया है, उसे उसी जिला या तालुका में नियुक्त करने के बजाय जिले के बाहर अप्रभारी पद पर नियुक्ति की जाए, साथ ही जारी परिपत्रक के माध्यम से सभी प्रशासकीय विभाग को निर्देशित किया गया था कि इसपर सख्ती से अमल किया जाए.