मैरिटल रेप को लेकर बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। फैसला सुनाते समय हाईकोर्ट के दोनों जजों ने इस पर अलग-अलग राय जाहिर की। एक जज ने मैरिटल रेप को अपराध माना जबकि दूसरे जज ने यह कहकर असहमति जता दी कि यह संविधान का उल्लंघन नहीं करता है। अब मैरिटल रेप को लेकर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी।
जस्टिस शकधर ने कहा- IPC की धारा 375, संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। लिहाजा, पत्नी से जबरन संबंध बनाने पर पति को सजा दी जानी चाहिए। वहीं जस्टिस सी हरिशंकर ने कहा- मैरिटल रेप को किसी कानून का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि यह अपवाद 2 से धारा 375 संविधान का उल्लंघन नहीं करता है। इसलिए उन्होंने इसे अपराध की श्रेणी में नहीं माना। बेंच ने याचिका लगाने वालों से कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने इस मामले में फरवरी महीने में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। मैरिटल रेप यानी शादी के बाद जबरन शारीरिक संबंध बनाने को अब तक कानून में अपराध नहीं माना जाता है।
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल करके मांग की गई थी कि अगर पति जबरन या पत्नी की मर्जी के खिलाफ संबंध बनाता है, तो उसको मैरिटल रेप के दायरे में लाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने इस मामले में अलग-अलग देशों का उदाहरण भी दिया। याचिका में इसे महिला की अस्मिता और उसके सम्मान से जोड़ा।
इसी मसले पर मार्च में कर्नाटक हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया था। कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने कहा था कि कोई आदमी यह कहकर रेप के आरोपों से बरी नहीं हो सकता है कि पीड़िता उसकी पत्नी है। हाईकोर्ट ने सांसदों को भी सुझाव दिया कि वे संसद में कानून में आड़े आ रहीं ऐसी असमानताओं को दूर करने की दिशा में प्रयास करें। जनप्रतिनिधि ‘चुप्पी की आवाज’ पर ध्यान दें।
पिछले साल अगस्त में केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने तल्ख टिप्पणी की थी कि भारत में मैरिटल रेप के लिए सजा का प्रावधान नहीं है। यह सिर्फ तलाक का कारण हो सकता है। इससे पहले 11 अक्टूबर, 2017 को मैरिटल रेप पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा था कि 18 साल से कम उम्र की पत्नी से बनाए गए फिजिकल रिलेशन भी अपराध की श्रेणी में माने जाएंगे। अगर पत्नी एक साल के अंदर शिकायत दर्ज करा दे तो।
आखिर क्या है रेप की परिभाषा
अगर कोई पुरुष किसी महिला से जबर्दस्ती फिजिकल रिलेशन बनाता है, तो इसे रेप माना जाएगा। इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 375 में उल्लेख है कि कोई व्यक्ति महिला की इच्छा के बगैर फिजिकल रिलेशन बनाए, बगैर सहमति के संबंध बनाए, महिला को कोई डर या नुकसान दिखाकर संबंध बनाए, शादी या अन्य कोई प्रलोभन दिखाकर संबंध बनाए, अगर महिला की मानसिक या शारीरिक स्थिति ठीक न हो और उससे संबंध बनाए गए हों, 16 साल से कम उम्र की महिला से संबंध बनाए गए हों, तो उसे रेप माना जाएगा। हालांकि मैरिटल रेप को लेकर अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं आ सका है।