उत्तर भारत के ज़्यादातर राज्यों में सर्दी अब जोर पकड़ रही है. उत्तराखंड से लेकर कश्मीर तक पहाड़ों पर भारी बर्फबारी (Snowfall) हो रही है. जिसके चलते मैदानी इलाकों में ठिठुरन वाली ठंड पड़ने लगी है. यहां कई जगहों पर तापमान जीरो से नीचे चला गया है. IMD के अनुसार नये साल पर पश्चिम विक्षोभ के कारण शीतलहर के आसार हैं. 5 जनवरी से तापमान में गिरावट होगी. हालांकि 26 दिसंबर से मौसम बदलेगा.
केदारनाथ धाम में शुक्रवार को मौसम ने करवट ली और अचानक बर्फबारी शुरू हो गई. धाम में एक फीट तक बर्फबारी हुई. जिसके चलते तापमान में गिरावट के साथ नदी नाले जमने लगे हैं. बर्फबारी के कारण धाम में रह रहे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. धाम में अभी भी दो सौ के लगभग कर्मचारी, मजूदर, महात्महा और पुलिस के जवान रह रहे हैं. भारी बर्फबारी की वजह से धाम में चल रहे पुनर्निर्माण कार्य भी बाधित है.
वहीं, बद्रीनाथ धाम में भी मौसम ने करवट बदली है. जिसके चकते वहां फिर से बर्फबारी शुरू हो गई है. यहां दिन में ही तापमान माइनस में लुढ़क चुका है. इस समय भगवान बद्री विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद है. धाम में कुछ पुलिस जवान मंदिर की सुरक्षा में और भारतीय सेना और आईटीबीपी के जवान सीमा पर तैनात हैं.
औली के ऊपर छत्रा कुंड इस समय पूरी तरह से फ्रीज हो चुका है. यहां पारा इतना ज्यादा लुढ़क चुका है कि पूरी झील पूरी तरह से जम चुकी है. लेह में सीजन की पहली बर्फबारी हुई है. जिसके चलते पूरा इलाका बर्फ से ढक गया है. घरों की छतों से लेकर सड़कों तक बर्फ की मोटी चादर जम गई है. यहां दूर-दूर तक बर्फ के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा है. भारी बर्फबारी के बाद आम जनजीवन भी अस्त व्यस्त हो गया है. सड़कों से बर्फ हटाने का काम जारी है. बर्फबारी के चलते लेह का पारा शून्य से नीचे बना हुआ है.
कश्मीर में अधिकतर स्थानों पर न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु से ऊपर दर्ज किया गया. कश्मीर वर्तमान में 40 दिनों की सबसे कठिन सर्दियां चल रही हैं. इसे स्थानीय रूप से ‘चिल्लई कलां’ कहते हैं. इसमें 20 दिनों तक चलने वाला ‘चिल्लई खुर्द’ और 10 दिनों तक चलने वाला ‘चिल्ला बच्चा’ होता है. जम्मू-कश्मीर में 26 से 28 दिसंबर तक बर्फबारी होने की संभावना है. गुरुवार और शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी होने की संभावना है.