Presidential Election: देश के नए राष्ट्रपति का चुनाव (Presidential Election) अब से अगले कुछ दिनों में होने वाला है ऐसे में पद के उम्मीदवारों पर सब की निगाहें टिकी हुई हैं. ताजा जानकारी के मुताबिक, विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा का नाम तय माना जा रहा है.
दरअसल, यशवंत सिन्हा आज विपक्ष की बैठक में शामिल होने वाले हैं. जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चुनाव के लिए विपक्ष आज दोपहर 2.30 बजे की बैठक होगी जिसमें यशवंत शामिल होंगे.
इसी बीच मंगलवार सुबह यशंवत सिन्हा के एक ट्वीट ने इन अटकलों को और बल दे दिया है। टीएमसी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने ट्वीट कर कहा, “टीएमसी में उन्होंने मुझे जो सम्मान और प्रतिष्ठा दिया, उसके लिए मैं ममता जी का आभारी हूं। अब एक समय आ गया है जब एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी से हटकर अधिक विपक्षी एकता के लिए काम करना होगा। मुझे यकीन है कि वह इस कदम को स्वीकार करती हैं।”
बता दे, राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से दिग्गज नेताओं ने इनकार कर दिया। NCP के अध्यक्ष शरद पवार ने जब ना कर दिया तो इस मुहिम में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की तरफ से दो नाम सुझाए गए थे। पहला नाम जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला और दूसरा पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी का था।
हालांकि इन दोनों लोगों ने भी अलग अलग वजहों से अपने नाम वापस ले लिए। वहीं अब टीएमसी की तरफ से यशवंत सिन्हा का नाम सुझाने की तैयारी है। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के इस ट्वीट ने राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मी को बढ़ा दिया है।
विपक्ष के तीन संभावित उम्मीदवारों ने किया इनकार
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए विपक्ष ने 15 जून को पहली बार बैठक की। टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ये बैठक बुलाई थी। इसमें उन्होंने 22 विपक्षी दलों को न्यौता दिया था, हालांकि केवल 17 राजनीतिक पार्टियों के नेता शामिल हुए। दिल्ली और पंजाब की सत्ता संभाल रही आम आदमी पार्टी, तेलंगाना की टीआरएस, ओडिशा की बीजेडी, आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस जैसी पार्टियों ने खुद को इस बैठक से अलग रखा।
तब इस बैठक में शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला और गोपाल कृष्ण गांधी के नामों पर चर्चा हुई थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा का नाम भी प्रस्तावित किया गया था। हालांकि एक के बाद एक पवार, अब्दुल्ला और गोपाल कृष्ण गांधी ने उम्मीदवार बनने से इंकार कर दिया। इसके बाद आज शरद पवार के घर पर विपक्ष की दूसरी बैठक हुई। इसमें टीएमसी ने फिर से यशवंत सिन्हा का नाम प्रस्तावित किया। जिसपर सभी दलों ने सहमति जता दी।
यशवंत सिन्हा का कॅरियर
छह नवंबर 1937 को यशवंत सिन्हा का जन्म पटना के कायस्थ परिवार में हुआ था। उन्होंने राजनीति शास्त्र में मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की है। 1960 में सिन्हा आईएएस अफसर बने और लगातार 24 साल तक अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान वह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव भी रहे। बाद में जर्मनी के दूतावास में प्रथम सचिव वाणिज्यिक के तौर पर नियुक्त किया गया। 1973 से 1975 के बीच में उन्हें भारत का कौंसुल जनरल बनाया गया।
1984 में यशवंत सिन्हा ने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर जनता पार्टी जॉइन कर ली। यहीं से उनके राजनीतिक कॅरियर का आगाज हुआ। 1986 में उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया। 1988 में वह पहली बार राज्यसभा के सांसद बने। 1989 में जब जनता दल का गठन हुआ तो वह उसमें शामिल हो गए। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया। इस दौरान चंद्रशेखर की सरकार में वह 1990 से 1991 तक वित्त मंत्री भी रहे।
1996 में वह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। 1998 में उन्हें केंद्र सरकार में वित्त मंत्री बनाया गया। इसके बाद उन्हें विदेश मंत्री भी बनाया गया। 2004 में चुनाव हार गए। 2005 में उन्हें फिर से राज्यसभा सांसद बनाया गया। 2009 में सिन्हा ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया। 2021 में उन्होंने टीएमसी जॉइन कर ली। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया।