बिहार-झारखंड कैडर के 1985 बैच के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी व पूर्व मानव संसाधन व सूचना प्रसारण सचिव अमित खरे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सलाहकार नियुक्त किया गया है. अमित खरे 30 सितंबर को ही उच्च शिक्षा सचिव के पद से रिटायर हुए थे.
एक सरकारी आदेश में उनकी नियुक्ति की जानकारी दी गई है. सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने अमित खरे को पीएम मोदी का सलाहकार बनाए जाने को मंजूरी दी है. वह पीएमओ में सलाहकार के तौर पर काम करेंगे. उनका रैंक और स्केल भारत सरकार के किसी अन्य सचिव के बराबर होगा.
उनकी यह नौकरी कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर होगी. इसके अलावा पुनर्नियुक्ति को लेकर सरकार के सभी नियम उन पर लागू होंगे. फिलहाल उन्हें दो साल या फिर अगले किसी आदेश तक के लिए नियुक्ति दी गई है. इसे बाद में बढ़ाया भी जा सकता है.
इसी साल पूर्व कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा और सचिव रहे अमरजीत सिन्हा ने पीएमओ छोड़ा था. इसके बाद अब अमित खरे की पीएमओ में एंट्री हुई है. पीके सिन्हा और अमरजीत सिन्हा भी पीएम नरेंद्र मोदी के सलाहकार के तौर पर काम कर रहे थे.
अमित खरे की क्षमता अत्यंत पारदर्शिता के साथ स्पष्ट निर्णय लेने की भी रही है. वह पीएम मोदी के अधीन कुछ सचिवों में से एक थे, जिन्होंने एक समय में मानव संसाधन विकास के साथ-साथ सूचना और प्रसारण मंत्रालय में उच्च शिक्षा और स्कूल विभाग का नेतृत्व किया है.
बिहार-झारखंड कैडर के 1985 बैच के आइएएस अधिकारी अमित खरे ने दिसंबर 2019 में शिक्षा मंत्रालय के सचिव का पदभार ग्रहण किया था. उनकी नियुक्ति के कुछ ही समय के भीतर, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को कैबिनेट द्वारा 29 जुलाई 2020 को अनुमोदित किया गया था.
रिटायर्ड IAS अधिकारी अमित खरे उस समय भी चर्चा में आए थे, जिस समय चारा घोटोला का पर्दाफाश किया था. उन्होंने चाईबासा उपायुक्त रहते हुए चारा घोटाले में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया था. फिर इस मामले में एक-एक कई नेता व अधिकारी फंसते गए और उन्हें जेल पहुंचाया गया, जिसमें से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद का भी नाम शामिल है. लालू प्रसाद आज सलाखों के पीछे हैं.