केंद्र सरकार ने शनिवार को बड़ा फैसला लेते हुए 24 जनवरी की जगह अब 23 जनवरी से गणतंत्र दिवस समारोह को शुरू करने का फैसला किया है. यह फैसला नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) के जन्मदिन को गणतंत्र दिवस समारोह (Republic Day Celebration) में शामिल करने की वजह से लिया गया है.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था. यानी अब से हर साल सुभाष चंद्र बोस की जयंती के साथ ही गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत होगी. भारत सरकार के सूत्रों ने इस खबर की पुष्टि की है.
इस बार सिर्फ 24,000 लोगों को अनुमति
रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि कोरोना के चलते पिछले साल परेड में शामिल होने वाले 25,000 लोगों की तुलना में इस बार 24,000 लोगों को इसे देखने की अनुमति होगी. इसमें दर्शक, गणमान्य व्यक्ति, सरकारी अधिकारी, बच्चे, एनसीसी कैडेट, राजदूत, सीनियर नौकरशाह और राजनेता शामिल हैं.
इन 24 हजार सीटों में से 5,200 सीटें आम दर्शकों के लिए हैं, जो टिकट खरीद सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछली बार की तरह ही इस बार भी राष्ट्रीय समारोह बिना किसी विदेशी मुख्य अतिथि की उपस्थिति के बगैर ही आयोजित किया जा सकता है.
वैक्सीन की डबल डोज अनिवार्य
गौरतलब है कि पिछले साल की तरह, दर्शकों को दूर करने के नियमों को सुनिश्चित करने के लिए 6 फीट की दूरी पर बैठाया जाएगा, और मास्क अनिवार्य होगा. इस दौरान पूरे इलाके को सैनेटाइज से साफ किया जाएगा, और बैठने की जगह के लगभग सैनिटाइजर डिस्पेंसर भी लगाए जाने की संभावना है. ऐसे में सभी सांस्कृतिक प्रतिभागियों और सशस्त्र बलों के कर्मियों के लिए वैक्सीन की डबल डोज अनिवार्य कर दिया गया है. साथ ही उन सभी का भी कोविड-19 के टेस्ट किया जाएगा.
वहीं, परंपरा के अनुसार, पोडियम पर केवल VVIP बैठे रहेंगे, जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट शामिल होंगे. ऐसे में संभावना जताई जा रही हैं कि रक्षा मंत्रालय सोमवार को भाग लेने वाली झांकी और मार्चिंग टुकड़ियों के जानकारी की घोषणा करेगा.
1950 से हर साल समारोह का आयोजन
गौरतलब है कि 1950 से हर साल देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है. इस दिन राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और इस अवसर पर भारतीय सैन्य बल अपने पराक्रम का प्रदर्शन करते हैं. इसके अलावा देश के विभिन्न राज्यों से कला और संस्कृति को समर्पित झांकी प्रस्तुत की जाती है जिसमें देश की विविधता की झलक मिलती है. इस समारोह को करीब 2 लाख लोग सामने से देखते हैं. हालांकि कोरोना के मद्देनजर पिछले साल सिर्फ 4500 लोगों को टिकट मिले थे. रक्षा मंत्रालय के उपर समारोह का सफलतापूर्वक करने की जिम्मेदारी होती है.