व्हाट्सएप द्वारा लाई गई नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता द्वारा अदालत में कहा गया कि इस पर सरकार को कड़ा कदम उठाना चाहिए, ये लोगों की निजता का उल्लंघन है. व्हाट्सएप जैसा प्राइवेट एप आम लोगों से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारियों को साझा करना चाहता है, जिस पर रोक लगाने की जरूरत है.
याचिकाकार्ता ने कोर्ट से कहा कि यूरोप और अमेरिका में, व्हाट्सऐप की पॉलिसी को स्वीकार या अस्वीकार करने का विकल्प देता है। लेकिन यहां भारत में ऐसा कोई विकल्प नहीं दिया गया है। इसपर कोर्ट ने कहा कि ये एक प्राइवेट एप है, अगर आपकी निजता प्रभावित हो रही है तो आपके पास एक विकल्प है। ऐप का इस्तमाल नहीं करें। कोर्ट ने कहा कि क्या आप मैप या ब्राउज़र इस्तेमाल करते हैं? उसमें भी आपका डाटा शेयर किया जाता है. अदालत में याचिकाकर्ता की ओर से अपील की गई कि इसीलिए हम इस मामले में चाहते हैं कि कड़ा कानून बने.
सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से पेश हुए एएसजी चेतन शर्मा ने कोर्ट से कहा कि इस मुद्दे का विश्लेषण करने की आवश्यकता है। व्हाट्सएप की ओर से मुकुल रोहतगी ने दलील दी, उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल पूरी तरह से सुरक्षित है और लोगों की निजता का ध्यान रखा जा रहा है. दो दोस्तों की आपसी बातचीत को किसी भी थर्ड पार्टी को नहीं शेयर किया जाएगा. ये सिर्फ व्हाट्सएप बिजनेस से जुड़े ग्रुप के लिए है, जिसमें डाटा और रुचि को देखकर उसे बिज़नेस के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. अब इस केस की सुनवाई 25 जनवरी को होगी.