राष्ट्रपति भवन में आज रक्षा अलंकरण समारोह में वीर सैनिकों को वीरता मेडल से नवाजा गया. आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने गलवान घाटी की हिंसा में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों को वीरता मेडल से नवाजा.
पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में गलवान घाटी (Galwan Valley) में ऑपरेशन स्नो लेपर्ड (Operation Snow Leopard) के दौरान चीनी सैनिकों के साथ लोहा लेते हुए शहीद होने वाले कर्नल संतोष बाबू (Colonel Santosh Babu) को मरणोपरांत महावीर चक्र (Maha Vir Chakra)से सम्मानित किया गया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनकी मां और पत्नी को पुरस्कार दिया. बता दें कि महावीर चक्र भारत का दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है.
संतोष बाबू के साथ ही इस ऑपरेशन का हिस्सा रहे नायब सूबेदार नूडूराम सोरेन, हवलदार के पिलानी, नायक दीपक सिंह और सिपाही गुरतेज सिंह को भी वीर चक्र से सम्मानित किया गया.
बता दें कि नायब सूबेदार नूडूराम सोरेन को पिछले साल जून में गलवान घाटी में चीनी सेना की ओर से किए गए हमले में वीरता पूर्वक दुश्मन की सेना का सामना किया. दुश्मन से लोहा लेते हुए नायब सेबेदार सोरेन ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी. नूडूराम सोरेन को भी मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उनकी पत्नी को ये सम्मान दिया.
हवलदार के. पलानी को ऑपरेशन स्नो लेपर्ड के अंतर्गत पिछले साल जून में गलवान घाटी में चीनी सेना द्वारा किए गए शातिर हमले के खिलाफ उनकी वीरतापूर्ण कार्रवाई के लिए मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनकी पत्नी को पुरस्कार दिया.
बता दें कि पिछले साल जून में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश की थी. इस दौरान सीमा पर मौजूद कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में भारतीय सेनिकों ने चीनी सैनिकों को रोकने की कोशिश की थी. इस दौरान संतोष बाबू ने चीनी सैनिकों को पीछे जाने के लिए कहा लेकिन चीनी सैनिकों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी. चीनी सैनिकों की पत्थरबाजी के बाद भी कर्नल संतोष बाबू डटे रहे और चीनी सैनिकों को पीछे हटने को मजबूर कर दिया. इस घटना में भारत में 20 जवान शहीद हो गए थे. कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि इस घटना में चीन से 40 सैनिक मारे गए हालांकि चीन ने 4 से 5 सैनिकों के ही मारे जाने की पुष्टि की.
वीर चक्र एक भारतीय युद्धकालीन सैन्य वीरता पुरस्कार (Indian wartime military bravery award ) है. यह युद्ध के मैदान में अदम्य साहस दिखाने पर दिया जाता है. यह तीसरा बड़ा भारतीय सैन्य पुरस्कार है. परम वीर चक्र (Param Vir Chakra) और महा वीर चक्र (Maha Vir Chakra) के बाद यह आता है. पहला वीर चक्र 1947 में दिया गया था. अभिनंदन के अलावा अब तक 361 वीर चक्र प्रदान किए चुके हैं.