40 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रही फ्लाइट में एक यात्री को दो बार हार्ट अटैक आया. गनीमत यह रही कि फ्लाइट में ही मौजूद डॉक्टर ने इस शख्स की जान बचा ली. दरअसल, बर्मिंघम के क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल में लिवर विशेषज्ञ, 48 वर्षीय डॉ. विश्वराज वेमाला अपनी मां के साथ भारत जा रहे थे, तभी एक साथी यात्री को कार्डियक अरेस्ट आ गया. उस वक्त विमान पर मौजूद मेडिकल सप्लाई और यात्रियों के सामान की सहायता से, डॉ वेमाला ने 43 वर्षीय व्यक्ति में दो बार जान बचाई.
भारतीय मूल के डॉक्टर विश्वराज वेमाला (Dr Vishwaraj Vemala) ने 5 घंटे की जद्दोजहद का किस्सा बताया है, जब उसने भारत के लिए लंबी दूरी की उड़ान पर एक यात्री की जान बचाई थी. उन्होंने कहा कि वह इस अनुभव को जीवन भर याद रखेंगे. उन्होंने कहा, ‘जाहिर है मेरे मेडिकल ट्रेनिंग के दौरान, यह कुछ ऐसा था जिससे निपटने का मुझे अनुभव था, लेकिन हवा में 40,000 फीट पर ऐसा कभी नहीं किया.’
रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना नवंबर 2022 की है, जब यात्री को कार्डियक अरेस्ट आने के बाद लंदन से एयर इंडिया की उड़ान पर सवार केबिन क्रू ने डॉक्टर की तलाश शुरू कर दी. यात्री की नब्ज और सांस भी नहीं चल रही थी. डॉ वेमाला ने कहा, ‘उसकी धड़कनों में फिर से जान वापस लाने में मुझे लगभग एक घंटे का समय लगा.’ इस दौरान डॉक्टर वेमाला ने केबिन क्रू से पूछा कि क्या उनके पास कोई दवा है.
उन्होंने कहा, “सौभाग्य से, उनके पास एक आपातकालीन किट थी, जिसमें मुझे आश्चर्य हुआ, जीवन समर्थन को सक्षम करने के लिए पुनर्जीवन दवा शामिल थी”. हालांकि, उन्होंने कहा कि “ऑक्सीजन और एक स्वचालित बाहरी डिफाइब्रिलेटर के अलावा, बोर्ड पर कोई अन्य उपकरण नहीं था जो यह देख सके कि वह कैसी स्थिति में है.”
फ्लाइट में सवार अन्य यात्रियों से बात करने के बाद, डॉ. वेमाला को हृदय गति मॉनिटर, ब्लड प्रेशर मशीन, पल्स ऑक्सीमीटर और ग्लूकोज मीटर मिला, जिससे उस शख्स के वाइटल की जांच की जा सकी. लेकिन यात्री, जो होश में आने के बाद डॉक्टर से बात कर रहा था, अचानक फिर से कार्डियक अरेस्ट में चला गया, जिसे और भी लंबे समय तक पुनर्जीवन की आवश्यकता थी.
डॉ वेमाला ने कहा, “कुल मिलाकर, लगभग दो घंटे की उड़ान के दौरान उनकी नब्ज या रक्तचाप ठीक नहीं था, केबिन क्रू के साथ हम कुल मिलाकर 5 घंटे तक उन्हें जीवित रखने की कोशिश कर रहे थे. यह हम सभी के लिए बेहद डरावना था, खासकर अन्य यात्रियों के लिए और यह काफी भावुक करने वाला था.”
डॉक्टर ने बताया कि, “मुझे याद है कि जब हमने सुना कि हम मुंबई में लैंड कर सकते हैं तो यह हम सभी के लिए बेहद भावनात्मक था. जब तक हम उतरे तब तक यात्री को बचाया जा चुका था और वह मुझसे बात करने में सक्षम था. फिर भी, मैंने जोर देकर कहा कि वह अस्पताल में जांच के लिए जाए.” डॉ. वेमला ने यह भी कहा कि मरीज ने आंखों में आंसू भरकर उनका शुक्रिया अदा किया. मुंबई एयरपोर्ट पर आपातकालीन टीम के साथ यात्री को सुरक्षित और स्थिर छोड़ दिया गया.
पहली बार ट्रीट किया कार्डियक अरेस्ट का केस
डॉक्टर वेमला ने बताया कि लीवर ट्रांसप्लांट से जुड़े मामलों में उनकी स्पेशिलिटी है, लेकिन कभी कार्डियक अरेस्ट से जुड़े केस को 40 हजार फीट की ऊंचाई पर देखना पड़ेगा, इस बारे में कल्पना नहीं की थी. डॉक्टर बेंगलुरू में रहने वाली अपनी मां को अपने साथ ब्रिटेन वापस लाने के लिए भारत आ रहे थे.