भारतीय किसान यूनियन (BKU) नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने शनिवार को ऐलान किया कि वे 2 अक्टूबर तक गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ प्रदर्शन करते रहेंगे. राकेश टिकैत ने कहा कि दो अक्टूबर के बाद आगे का प्रोग्राम बनाएंगे.
राकेश टिकैत ने गाजीपुर में आज कहा, “हमने सरकार को इन कानूनों को खत्म करने के लिए 2 अक्टबूर तक का समय दिया है. इसके बाद हम आगे की योजना बनाएंगे. हम दबाव में रहकर सरकार के साथ बातचीत नहीं करेंगे.” उन्होंने यह भी मांग की कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए सरकार कानून बनाए.
कृषि कानून (Farm Law) के विरोध में शनिवार को एक ओर किसान संगठनों ने देशभर में चक्का जाम का आह्वान किया था. वहीं दूसरी ओर गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों को संबोधित किया, इस दौरान उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण बातें कहीं, जिसमें पहला की जब तक कानून वापसी नहीं, घर वापसी नहीं, दूसरा ये कि हम 2 अक्टूबर तक ऐसे ही विरोध प्रदर्शन करेंगे.
कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन जारी है. किसानों का प्रदर्शन लंबा खिंच रहा है. ऐसे में टिकैत के बयान के अब कई मायने निकल रहे हैं. उन्होंने मंच से अन्य किसानों को साफ शब्दों में संदेश दिया है, ‘हम यहां से तब तक नहीं उठेंगे, जब तक कानून वापसी नहीं हो जाती है.
किसान संगठनों ने प्रदर्शन स्थलों के आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद करने, अधिकारियों द्वारा किसानों का कथित उत्पीड़न किए जाने के खिलाफ और अन्य मुद्दों को लेकर देशभर में शनिवार को तीन घंटे के लिए ‘चक्का जाम’ किया. चक्का जाम दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक तीन घंटे के लिए रहा. इस दौरान दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बंद नहीं करने का फैसला लिया गया था.
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्से के हजारों किसान 70 से अधिक दिनों (26 नवंबर, 2020) से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं (सिंघू, गाजीपुर, टिकरी और अन्य बॉर्डर) पर प्रदर्शन कर रहे हैं. केंद्र सरकार पिछले साल सितंबर में कृषि क्षेत्र में सुधार का हवाला देते हुए संसद से कानून बनाया था.
पहला, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020. सरकार का दावा है कि किसान इस कानून के जरिए अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे. निजी खरीदारों से बेहतर दाम प्राप्त कर पाएंगे. लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि सरकार इस कानून के जरिए मंडी व्यवस्था को खत्म करना चाहती है.
दूसरा कानून है- कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक 2020. सरकार के मुताबिक, इसके जरिए वो किसानों और निजी कंपनियों के बीच में समझौते वाली खेती का रास्ता खोल रही है. इसे सामान्य भाषा में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कहते है.
तीसरा कृषि कानून है- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020. इस कानून के जरिए उपज जुटाने की सीमा में कई अन्य चीजों को शामिल किया गया है, जिस पर स्टॉक नियंत्रण नहीं रहेगा. सरकार ने संशोधन कर दलहन, तिलहन, खाने के तेलों, जैसी चीजों के स्टॉक को नियंत्रण के दायरे से बाहर कर दिया गया है. किसानों का आरोप है कि इससे जमाखोरी और कालाबाजारी बढ़ेगी.