नई दिल्ली, 03 जुलाई । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि कांग्रेस पार्टी संविधान की सबसे बड़ी विरोधी है। कांग्रेस पार्टी ने संविधान और संवैधानिक पदों पर एक परिवार को हमेशा आगे रखा है। इस बार अगर संविधान की रक्षा का चुनाव था तो संविधान की रक्षा के लिए देशवासियों ने हमें योग्य पाया है। संविधान की रक्षा के लिए देशवासियों को हम पर भरोसा है और संविधान की रक्षा के लिए देशवासियों ने हमें जनादेश दिया है।
राज्यसभा में आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “कांग्रेस को संविधान की बात करना शोभा नहीं देती। दर्जनों आर्टिकल्स को, संविधान की आत्मा को छिन्न-भिन्न करने का पाप इन लोगों ने किया था। इनके मुंह से संविधान की बात शोभा नहीं देती, ये पाप करके बैठे हुए लोग हैं।”
उन्होंने कहा, “हम 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाएंगे तो मैं हैरान हूं कि जो आज संविधान की प्रति लेकर घूमते रहते हैं, दुनिया में लहराते रहते हैं, उन्होंने विरोध किया था कि 26 जनवरी तो है, फिर संविधान दिवस क्यों लाएं?”
जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करती रही है कांग्रेस, वर्तमान सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जांच एजेंसियों पर लग रहे आरोपों पर बुधवार को राज्यसभा में जवाब दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि एजेंसियों का दुरुपयोग कांग्रेस किया करती थी। कांग्रेस के कार्यकाल में नेताजी मुलायम सिंह यादव ने 2013 में कहा था कि कांग्रेस सीबीआई का डर दिखाती है, आयकर का दुपरुयोग करती है। उन्होंने अन्य उदाहरण देते हुए अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा था।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में होने का मुद्दा उठाए जाने पर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि शराब घोटाला में लिप्त आप पार्टी को कांग्रेस पार्टी ही कोर्ट में लेकर गई थी। कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेंस करके शराब घोटाले में आप के खिलाफ सूबत दिए थे। कांग्रेस बताये कि क्या वह प्रेस कांफ्रेस झूठी थी।
उन्होंने कहा, “शराब घोटाला करे ‘आप’, भ्रष्टाचार करे ‘आप’, बच्चों के क्लासरूम बनाने में घोटाला करे ‘आप’, पानी तक में घोटाला करे ‘आप’, ‘आप’ की शिकायत करे कांग्रेस, ‘आप’ को कोर्ट तक घसीट कर ले जाए कांग्रेस और कार्रवाई हो तो गाली दें मोदी को।”
मणिपुर में लगी आग में घी डालना बंद करें –
उच्च सदन में उन्होंने आज मणिपुर के मुद्दे पर भी जवाब दिया। कल विपक्ष ने मणिपुर के दूसरे सांसद को बोलने न देने का मुद्दा बनाकर उनके लोकसभा में भाषण के दौरान हंगामा किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि मणिपुर में जातीय हिंसा के पहले भी मामले आए हैं। वहां सामाजिक संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है। इस संघर्ष की मानसिकता की जड़ें बहुत गहरी हैं। कांग्रेस के लोगों को ये नही भूलना चाहिए कि इन्हीं हालातों की वजह से इस छोटे से राज्य में 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा है। ये हमारे कार्यकाल में नहीं हुआ है। कुछ तो वजह होगी। फिर भी राजनीतिक फायदा उठाने के लिए वहां हरकतें हो रही हैं।
उन्होंने कहा, “जो भी तत्व मणिपुर की आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें आगाह करना चाहता हूं कि ये हरकतें बंद करें। एक समय आएगा जब मणिपुर ही रिजेक्ट करेगा उन लोगों को।”
वर्तमान में हुई हिंसाओं पर करीब 11 हजार मामले दर्ज किए गए हैं। 500 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। धीरे-धीरे इन हिंसाओं में कमी आ रही है। मणिपुर में भी स्कूल-कॉलेज संस्थान खुले हुए हैं। परीक्षाएं हो रही हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार सभी से बातचीत करके सौहार्द का रास्ता खोलने की कोशिश कर रही है।
पूर्वोत्तर में शांति के स्थाई प्रयास-
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने पूर्वोेत्तर में स्थाई शांति के प्रयास किए हैं। उनकी चर्चा कम होती है, लेकिन परिणाम व्यापक आए हैं। राज्यों के बीच सीमा विवाद आजादी के बाद से ये निरंतर चलता रहा है। हम राज्यों के साथ इसे हल करते जा रहे हैं। हिंसा से जुड़े संगठन, हथियारबंद गिरोह के साथ आज स्थायी समझौते हो रहे हैं। जिनके खिलाफ गंभीर मामले हैं, वे अदालत में जाने के लिए तैयार हो रहे हैं। न्यायतंत्र में भरोसा बढ़ना महत्वपूर्ण बात है।
झूठ फैलाने वालों में सत्य सुनने की ताकत नहीं-
राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने जवाब के दौरान विपक्ष के वाकआउट करने पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश देख रहा है कि झूठ फैलाने वालों की सत्य सुनने की ताकत भी नहीं होती। जिनका सत्य से मुकाबला करने के हौसले नहीं, बैठकर इतनी चर्चा करने के बाद उनके जवाब सुनने की ताकत नहीं है। ये उच्च सदन को अपमानित कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि गृहमंत्री वहां जाकर कई दिन रहे हैं। अधिकारी भी लगातार जा रहे हैं। समस्या के समाधान के लिए हर प्रकार से प्रयास किया जा रहा है।
नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को मिलेगी सख्त सजा-
उन्होंने पेपर लीक के मुद्दे पर एक बार फिर युवाओं को आश्वस्त किया। उन्होंने कहा कि वे भारत के युवाओं को आश्वस्त करते हैं कि नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा मिलेगी। इसके लिए एक्शन लिए जा रहे हैं। हम चाहते थे कि पेपर लीक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति न हो, लेकिन विपक्ष को इसकी आदत है।
किसान कल्याण हमारी सरकार की नीतियों में-
किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके कार्यकाल में 10 साल में एक बार किसानों की कर्जमाफी हुई और 60 हजार करोड़ की कर्जमाफी का इतना हल्ला मचाया गया। उसके लाभार्थी सिर्फ तीन करोड़ किसान थे। इसमें गरीब किसानों का नामों निशान नहीं था। वहीं हमारी सरकार की योजना का लाभ 10 करोड़ किसानों को हुआ है। तीन लाख करोड़ हम किसानों को दे चुके हैं। हमने बीज से बाजार तक किसानों के लिए हर व्यवस्था को बहुत माइक्रो प्लानिंग के साथ मजबूती देने का भरसक प्रयास किया है और व्यवस्था को हमने चाक चौबंद किया है।
एक तिहाई सरकार कहने पर आपके मुंह में घी शक्कर-
तीसरे कार्यकाल को एक तिहाई सरकार कहने पर प्रधानमंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि ऐसा कहने वालों के मुंह में घी शक्कर। इससे बड़ा सत्य क्या हो सकता है कि हमारे 10 साल हुए हैं, 20 और बाकी हैं। एक तिहाई हुआ है, दो तिहाई और बाकी है।
दिव्यांगों और ट्रांसजेंडर वर्ग के लिए किया काम-
प्रधानमंत्री ने कहा कि दिव्यांग भाई-बहनों के साथ उनकी कठिनाइयों को समझते हुए उनके गरिमापूर्ण जीवन की दिशा में काम किया है। हमारे समाज में किसी न किसी कारण से एक उपेक्षित वर्ग ट्रांसजेंडर वर्ग है। हमारी सरकार ने ट्रांसजेंडर साथियों के लिए कानून बनाने का काम किया है। पश्चिम के लोगों को भी आश्चर्य होता है कि भारत इतना प्रोग्रेसिव है। पद्म अवॉर्ड में भी ट्रांसजेंडर को अवसर देने में हमारी सरकार आगे आई है।
महिलाओं के साथ अत्याचार में विपक्ष का सेलेक्टिव रवैया-
प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल में एक महिला को सरेआम पीटे जाने पर विपक्ष की चुप्पी पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि महिलाओं के साथ अत्याचार में विपक्ष का सेलेक्टिव रवैया है। पश्चिम बंगाल के चोपड़ा ब्लाक में हुई घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले पश्चिम बंगाल से कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर आईं। इसमें एक महिला को वहां सरेआम सड़क पर पीटा जा रहा है, वो बहन चीख रही है। संदेशखाली की घटना रोंगटे खड़े कर देने वाली है, लेकिन बड़े-बड़े दिग्गज जिनको उन्होंने कल सुना, उनके मुख से पीड़ा के शब्द भी नहीं झलके। इससे बड़ा शर्मिंदगी का चित्र क्या हो सकता है? उन्होंने कहा, “जो खुद को प्रगतिशील नारी कहती हैं, वो भी मुंह पर ताले लगाकर बैठी हैं। क्योंकि घटना का संबंध उनके राजनीतिक जीवन से जुड़े दल से या राज्य से है।”