ओबीसी जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई जातिगत जनगणना नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक हलफनामा दायर करते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि जनगणना में OBC जातियों की गिनती एक लंबा और कठिन काम है. ऐसे में 2021 की जनगणना में इसे शामिल नहीं किया जाएगा.
ओबीसी जनगणना को लेकर केंद्र का रूख इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल में बिहार से दस दलों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की थी. सरकार के इस रुख से उन तमाम राजनीतिक दलों, संगठनों को झटका लगा है जो जातिगत जनगणना की मांग कर रहे थे.
दरअसल, महाराष्ट्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें केंद्र सरकार से 2011 की जनगणना के अनुसार, ओबीसी समुदाय का डाटा मांगा गया था. महाराष्ट्र में ओबीसी (OBC) समुदाय के लिए जिला परिषद, जिला पंचायत चुनाव के लिए 27 फीसदी आरक्षण को लेकर ये डाटा मांगा गया था.
इसी याचिका को लेकर केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया, जिसमें कहा गया है कि साल 2011 की जनगणना के मद्देनज़र सरकार के पास हर जाति की गिनती का कोई ठोस डाटा नहीं है. सरकार ने माना है कि साल 2011 में किया गया सोशल इकॉनोमिक और कास्ट सेंसस गलतियों से भरा हुआ है.
केंद्र सरकार ने साफ किया है कि पिछली जनगणना का डाटा किसी आधिकारिक इस्तेमाल के लिए नहीं है, ना ही इसे सार्वजनिक किया गया है. ऐसे में जाति से जुड़े मसलो पर राज्य सरकारें इसका इस्तेमाल नहीं कर सकती हैं. केंद्र का कहना है कि इस डाटा में गलतियां हैं, साथ ही कई जातियों के एक समान नाम कई तरह की दिक्कतें पैदा कर सकते हैं.
अपने जवाब में केंद्र ने 2021 की जनगणना में जाति का सेक्शन जोड़ने का विरोध किया है. सरकार ने कहा है कि ऐसा करना बेहद ही कठिन होगा, इससे डाटा में गड़बड़ी हो सकती है.
बता दें कि हाल ही के दिनों में जातिगत जनगणना की मांग काफी तेज़ हुई है. कुछ दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद नेता तेजस्वी यादव समेत करीब दस राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. सभी ने जल्द से जल्द जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी, जो लंबे वक्त से अटकी हुई है. ना सिर्फ बिहार बल्कि उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में भी राजनीतिक दलों ने इस तरह की मांग की है. हालांकि, केंद्र की ओर से लगातार इसको टाला ही गया है. अब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने साफ किया है कि इस बार भी जातिगत जनगणना नहीं होगी.