कश्मीर घाटी में हो रही लगातार टारगेट किलिंग ने वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। बीते 26 दिनों में 10 लोगों की हत्या हो चुकी है. डरे सहमे लोग अब घाटी से पलायन कर रह हैं. श्रीनगर (Srinagar) में पीएम पैकेज के तहत काम करने वाले 30-40 लोगों के परिवार ने पलायन कर लिया है. रामबन से कश्मीरी पंडितों के घर छोड़कर (Kashmiri Pandits Getaway) जाने की खबरें आई हैं. ये लोग कश्मीर में काम कर रहे थे. रामबन जम्मू-श्रीगनर नेशनल हाइवे का सेंट्रल प्वाइंट है.
‘1990 से बुरे हालात’
श्रीनगर में काम करने वाले अमित कौल ने बताया कि गुरुवार को भी हत्याएं हुईं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मांग नहीं मान रही है. पीएम पैकेज के तहत काम कर रहे कश्मीरी पंडित अजय भी अब कश्मीर घाटी से जम्मू पहुंच गए हैं. अजय ने कहा कि हालात अब 1990 से भी बुरे हैं.
कश्मीर छोड़ जम्मू पहुंचे कर्मचारी, सामूहिक इस्तीफे की दी चेतावनी
कश्मीर से पलायन कर जम्मू लौटे कर्मचारियों ने शुक्रवार को ऑल जम्मू बेस्ड रिजवर्ड केटेगरी इंप्लाइज एसोसिएशन के बैनर तले प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने रजनी बाला, राहुल भट्ट, विजय कुमार, रंजीत सिंह अमर रहे के नारे लगाए. कर्मचारियों का कहना है कि घाटी में डर का माहौल है. वे वहां वापस जाने वाले नहीं हैं. वे कश्मीर में नौकरी नहीं करना चाहते हैं. ऐसे में उन्हें जम्मू में तैनात किया जाना चाहिए. अगर सरकार उनकी मांग को पूरा नहीं करती है तो वे संघर्ष को आगे बढ़ाएंगे और उन्होंने सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी भी दी.
26 दिनों में 10 लोगों की हत्या
टारगेट किलिंग के खिलाफ कश्मीरी पंडितों में गुस्से और डर का माहौल है. पिछले 26 दिन में आतंकी करीब 10 लोगों की हत्या कर चुके हैं. इसमें से दो लोगों का मर्डर गुरुवार, 2 जून हुआ है. इसमें एक बैंक मैनेजर विजय कुमार का नाम भी शामिल है. इसके बाद शाम को बडगाम में दो प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाया गया. इसमें एक मजदूर की मौत हो चुकी है.
पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद से कश्मीर में आतंकियों व अलगाववादियों का एजेंडा पूरी तरह नाकाम हो गया है. इससे हताश आतंकी संगठनों ने कश्मीर में मुख्यधारा से जुड़े लोगों को विशेषकर पुलिसकर्मियों और विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों की टारगेट किलिंग का सिलसिला शुरु किया है.