आम जनता को एक बार फिर महंगाई का झटका लग सकता है. Automatic Pass-through Model के तहत जब इंटरनेशनल मार्केट में फ्यूल का रेट बढ़ेगा तो डिस्कॉम को बिजली खरीदने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी.
बढ़ती महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ रखी है. पेट्रोल-डीजल से लेकर खाने-पीने के सामान भी लगातार महंगे हो रहे हैं. इसी बीच जनता को एक बार फिर तगड़ा झटका लग सकता है. देश में पावर जेनरेटिंग कंपनियों के साथ-साथ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां (डिस्कॉम) भारी घाटे से जूझ रही हैं.
देश में पॉवर सेक्टर का बुरा हाल है. भारत बड़े पैमाने पर कोल आयात करता है और देश में उर्जा का प्रमुख साधन कोयला ही है. ऐसे में लाजिमी है कि जब इंटरनेशनल मार्केट में फ्यूल का प्राइस बढ़ेगा तो पावर जेनरेटिंग कंपनियों की लागत भी बढ़ेगी. कोल क्राइसिस की घटना के बाद पावर मिनिस्ट्री ने ऑटोमैटिक पास-थ्रू मॉडल को लेकर निर्देश जारी किया है.
प्रदेश में बिजली की नई दरें बृहस्पतिवार से लागू हो जाएंगी। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में औसतन 12 फीसदी तक इजाफा किया है। शहरी घरेलू उपभोक्ताओं को अब फिक्स चार्ज के रूप में 10 रुपये प्रति किलोवाट के साथ ही बिजली के लिए 50-60 पैसे प्रति यूनिट ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा।
अनमीटर्ड ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में 25 फीसदी की वृद्धि की गई है। किसानों, कॉमर्शियल व औद्योगिक उपभोक्ताओं की जेब पर भी बोझ बढ़ जाएगा। अलबत्ता 4.28 फीसदी रेगुलेटरी सरचार्ज खत्म होने से थोड़ी राहत मिलेगी।
राज्य विद्युत नियामक आयोग ने 3 सितंबर को 2019-20 की बिजली दरों का एलान किया था। पावर कॉर्पोरेशन की ओर से 5 सितंबर को नई दरों का सार्वजनिक प्रकाशन कराया गया था। कानूनन सार्वजनिक प्रकाशन के एक सप्ताह बाद नई दरें प्रभावी हो जाती हैं। इस लिहाज से नई दरें 12 सितंबर से प्रभावी हो जाएंगी। इस बार आयोग ने शहरी व ग्रामीण घरेलू, किसानों, कॉमर्शियल, औद्योगिक, अस्थायी कनेक्शन समेत श्रेणी की दरों में इजाफा किया है।
मद पुरानी दरें नई दरें
फिक्स चार्ज 100 रुपये 110 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह
150 यूनिट तक 4.90 रुपये प्रति यूनिट 5.50 रुपये प्रति यूनिट
151 से 300 यूनिट तक 5.40 रुपये प्रति यूनिट 6 रुपये प्रति यूनिट
301 से 500 यूनिट तक 6.20 रुपये प्रति यूनिट 6.50 रुपये प्रति यूनिट
500 यूनिट से ऊपर 6.50 रुपये प्रति यूनिट 7 रुपये प्रति यून
डिस्कॉम का काम बिजली का डिस्ट्रब्यूशन है और जनता से उसके बदले पैसे वसूलना है. ऐसे में, जब फ्यूल का रेट बढ़ेगा तो डिस्कॉम को बिजली खरीदने के लिए पावर प्रोड्यूसर्स को ज्यादा रेट चुकाने होंगे, लेकिन राजनीतिक दबाव और जनता के विरोध के कारण बिजली की कीमत (पावर टैरिफ) को बढ़ाना मुश्किल होगा. इसके बावजूद डिस्कॉम मजबूरी में पावर टैरिफ बढ़ाने का फैसला लेगा और इसका असर आम जनता की जेब पर होगा. निश्चित ही जनता की बिजली के लिए पहले से अधिक कीमत चुकनी पड़ेगी.
कोल क्राइसिस की घटना के बाद देश के दर्जनों पावर प्लांट्स ने काम करना बंद कर दिया था क्योंकि उनके पास बिजली उत्पादन के लिए कोयला नहीं था. प्राइवेट कंपनियों को तो कोयला कंपनियों को एडवांस में पेमेंट करना पड़ा था. लिक्विडिटी के अभाव के कारण उनके पास स्टोरेज का विकल्प नहीं है. ऐसे में, सरकार को ये फैसला लेना पड़ा.
गांवों में घरेलू अनमीटर्ड उपभोक्ताओं को 400 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह के स्थान पर अब 500 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह के हिसाब से बिल का भुगतान करना पड़ेगा।
अनमीटर्ड किसानों को 150 रुपये प्रति हॉर्स पावर प्रतिमाह के बजाय अब 170 रुपये प्रति हॉर्स पावर की दर से भुगतान करना पडे़गा।
ग्रामीण क्षेत्रों के मीटर्ड उपभोक्ताओं का फिक्स चार्ज 80 से बढ़ाकर 90 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह तथा विद्युत मूल्य 3 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर 3.35 रुपये प्रति यूनिट किया गया है। 100 यूनिट तक 3.35 रुपये की दर रहेगी। 100 यूनिट से ऊपर 3.85 से 6 रुपये प्रति यूनिट की दर अलग-अलग स्लैब के लिए तय की गई है।
मीटर्ड निजी नलकूप उपभोक्ताओं का फिक्स चार्ज 60 से बढ़ाकर 70 रुपये प्रति हॉर्स पावर प्रतिमाह तथा विद्युत मूल्य 1.75 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर 2 रुपये प्रति यूनिट कर दिया गया है।