केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी है, सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है. एलआईसी में अब ऑटोमेटिक रूट के तहत 20 प्रतिशत तक एफडीआई (FDI) की अनुमति होगी.
LIC IPO को देखते हुए यह माना जा रहा था कि आज की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है. मौजूदा एफडीआई नीति के मुताबिक बीमा क्षेत्र में 74 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है. हालांकि, यह नियम भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) पर लागू नहीं होता है. इसका प्रबंधन एक अलग कानून एलआईसी अधिनियम के तहत होता है.
बाजार नियामक सेबी के नियमों के अनुसार, आईपीओ पेशकश के तहत एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) और एफडीआई दोनों की अनुमति है. चूंकि एलआईसी अधिनियम में विदेशी निवेश के लिये कोई प्रावधान नहीं है, अत: विदेशी निवेशक भागीदारी के संबंध में प्रस्तावित एलआईसी आईपीओ को सेबी के मानदंडों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है. लिहाजा एलआईसी विदेशी निवेश को मंजूरी देना जरूरी था.
मंत्रिमंडल ने पिछले साल जुलाई में एलआई के आईपीओ को मंजूरी दी थी. इस IPO के लिए एलआईसी ने बाजार नियामक सेबी के समक्ष आवेदन किया हुआ है. संभवत मार्च में एलआईसी का आईपीओ आएगा.
Current FDI Policy क्या है
इंश्योरेंस सेक्टर में ऑटोमैटिक रूट के तहत भारत की 74 फीसदी एफडीआई की मौजूदा पॉलिसी राज्य द्वारा संचालित बीमा पर लागू नहीं होती है क्योंकि यह एक अलग एलआईसी अधिनियम के माध्यम से प्रशासित है. सेबी के नियमों के अनुसार, आईपीओ के तहत एफपीआई और एफडीआई दोनों की अनुमति है.
हालांकि, एलआईसी अधिनियम में विदेशी निवेश के लिए कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए विदेशी निवेशक भागीदारी के संबंध में प्रस्तावित एलआईसी आईपीओ को सेबी के मानदंडों के साथ अलाइन करने की जरुरत है.
एलआईसी आईपीओ मार्च में बाजार में आ सकता है, और एलआईसी के कर्मचारियों और पॉलिसीधारकों को न्यूनतम मूल्य पर छूट मिलेगी. DRHP के अनुसार, LIC का एम्बेडेड वैल्यू मिलिमैन एडवाइजर्स द्वारा 30 सितंबर, 2021 तक लगभग 5.4 लाख करोड़ रुपए आंका गया है. कुछ अनुमान बताते हैं कि आईपीओ के बाद एलआईसी का मार्केट कैप लगभग 16 लाख करोड़ के एम्बेडेड वैल्यू का करीब तीन गुना होगा.