उद्योगपति राहुल बजाज (Rahul Bajaj) का शनिवार को निधन हो गया. राहुल बजाज 83 वर्ष के थे. वह लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे. वह बजाज समूह (Bajaj Group) के अध्यक्ष थे. राहुल बजाज भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता जमनालाल बजाज के पोते थे.
राहुल ने अपनी पढ़ाई दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से की. उन्होंने मुंबई के लॉ यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री भी हासिल की. साल 2001 में उन्हें पद्म भूषण का सम्मान भी मिल चुका है. वह साल 2006 से लेकर 2010 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे.
देश के सफलतम उद्योगपतियों में शामिल राहुल बजाज ने दुपहिया और तिपहिया वाहनों के क्षेत्र में बजाज ऑटो को खड़ा किया और उसे अग्रणी स्थान तक पहुंचाया. वह करीब 5 दशक तक बजाज ग्रुप ऑफ कंपनीज से जुड़े रहे.
राहुल बजाज ने 1965 में बजाज समूह की कमान संभाली थी. उस समय भारत एक बंद अर्थव्यवस्था थी. उन्होंने कंपनी का नेतृत्व करते हुए बजाज चेतक नाम का स्कूटर बनाया. इस स्कूटर को काफी नाम मिला और इसे भारत के मध्यम वर्गीय परिवार की आकांक्षा का सूचक माना गया. इसके बाद कंपनी लगातार आगे बढ़ती चली गई.
पिछले साल राहुल बजाज ने बजाज ऑटो के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था. वह पांच दशकों से अधिक समय से बजाज ऑटो के प्रभारी रहे थे. राहुल बजाज के बाद बजाज ऑटो की कमान 67 वर्षीय नीरज बजाज (Neeraj Bajaj) ने संभाली. 1965 में राहुल बजाज बजाज ऑटो के CEO बने,तब उनकी उम्र 30 के करीब थी. इस दौरान वह CEO का पद संभालने वाले सबसे युवा भारतीयों में से थे.
राहुल बजाज के बजाज ऑटो की कमान संभालने के बाद कंपनी ने तेजी से अपने वाहनों के प्रोडक्शन में रफ्तार बढ़ाई. इस तरह ये कंपनी खुद को देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बनाने में सफल रही. 1965 में जहां कंपनी का टर्नओवर तीन करोड़ हुआ करता था, वहीं ये 2008 में बढ़कर 10 हजार करोड़ रुपये हो गया.
2005 में राहुल ने बेटे राजीव को कंपनी की कमान सौंपनी शुरू की थी. तब उन्होंने राजीव को बजाज ऑटो का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया था, जिसके बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कंपनी के प्रोडक्ट की मांग न सिर्फ घरेलू बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ गई.