इंचियोन/नई दिल्ली, 03 मई । दक्षिण कोरिया की चार दिवसीय आधिकारिक दौरे पर गईं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को खुले मन से खाद्य सब्सिडी के मुद्दे पर विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं में खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को प्रभावित करता है।
सीतारमण बुधवार को एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के ‘एशिया को पटरी पर लाने का समर्थन करने वाली नीतियां’ विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रही थीं। वित्त मंत्री ने कहा कि विकासशील देशों में कृषि और गरीब किसानों के लिए सब्सिडी को ध्यान नहीं दिया जाता था। उन्होंने कहा कि कोरोना और रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में खाद्य और उर्वरक सुरक्षा महत्वपूर्ण हो गई है।
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि जितनी जल्दी डब्ल्यूटीओ का समाधान निकालेगा, दुनिया के लिए उतना अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि हम सभी को खुले दिमाग से डब्ल्यूटीओ में फिर से खाद्य और उर्वरक सुरक्षा के बारे में बात करनी होगी। सीतारमण ने कहा कि विकासशील देशों की तुलना में विकसित देशों में खाद्य सुरक्षा बेहतर है। उन्होंने कहा कि व्यापार समझौते एकतरफा हुए हैं, जिनका समाधान खोजना होगा।
वैश्विक व्यापार नियमों के तहत डब्ल्यूटीओ सदस्य देशों का खाद्य सब्सिडी बिल 1986-88 के संदर्भ मूल्य के आधार पर उत्पादन मूल्य का 10 फीसदी की सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए। डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश इंडोनेशिया के बाली में दिसंबर, 2013 में हुई बैठक में अंतरिम उपाय के तहत एक व्यवस्था बनाने पर सहमत हुए थे, जिसे शांति उपबंध कहा जाता है। इसके साथ ही मामले के स्थायी समाधान को लेकर बातचीत की प्रतिबद्धता जताई थी। हालांकि, भारत ने स्थायी समधान के तौर पर खाद्य सब्सिडी सीमा के आकलन के फॉर्मूले में संशोधन जैसे उपाय करने को कहा है।