कर्नाटक के कई कॉलेजों में हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं की NO ENTRY के मामले में आज से हाईकोर्ट (High Court) में सुनवाई शुरू हुई. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया वो भावनाओं से नहीं, कानून के हिसाब से चलेगा.
इस समय राज्य के कई स्कूल-कॉलेज में हिजाब को लेकर बवाल चल रहा है. एक तरफ मुस्लिम छात्राएं स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहन अपना विरोध दर्ज करवा रही हैं तो दूसरी तरफ कई छात्र भगवा स्कॉफ पहन भी अपना विरोध दिखा रहे हैं.
हाई कोर्ट के जज कृष्णा दीक्षित ने मामले की सुनवाई शुरू की। लेकिन याचिकाकर्ता ने मामले की सुनवाई को स्थगित करने की मांग कर दी। उसने तर्क दिया कि इसी संबंध में एक और याचिका दायर की गई है। इसलिए जब तक सभी दस्तावेज न जाएं, सुनवाई रोक दी जाए। इस पर जज ने कहा कि इस मामले में जो भी फैसला आएगा, वो इससे जुड़े दूसरे मामलों पर भी लागू होगा।
कुरान का हवाला, कोर्ट में तीखी बहस
जब इस सुनवाई को आगे बढ़ाया गया तब हाई कोर्ट ने साफ कर दिया वे भावना से नहीं, सिर्फ और सिर्फ कानून से चलने वाले हैं. कोर्ट ने बकायदा कुरान की एक कॉपी मंगवाई और उस आधार पर आगे की सुनवाई को शुरू किया गया. पूछा गया कि क्या कुरान में ये लिखा है कि हिजाब जरूरी है? इस पर याचिकाकर्ता की तरफ लड़ रहे एडवोकेट कमथ ने कहा कि कुरान की आयत 24.31 और 24.33 ‘हेड स्कॉफ’ की बात करता है. वहां पर बताया गया है कि ये कितना जरूरी है.
इसके बाद एडवोकेट कमात ने इस बात का भी जिक्र किया कि ऐसे मामलों में किसी भी चलन को धार्मिक आधार पर भी समझना जरूरी रहता है. उन्होंने केरल हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि चेहरे को ना ढकना, लंबी ड्रेस ना पहना सजा का पात्र है. ये बात उन्होंने ‘हदीथ’ का हवाला देते हुए बताई. ये बात उन्होंने तब की जब जस्टिस दीक्षित ने पूछा कि ‘हदीथ’ का मतलब क्या चेहरे को दिखाना होता है. इसी के जवाब में एडवोकेट कमत ने कहा कि इस को समझने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं. यहीं पर उन्होंने केरल हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला भी दिया.
उसी केरल हाई कोर्ट के फैसले के आधार पर याचिकाकर्ता के वकील ने यहां तक कहा कि सिर को ना ढकना ‘हराम’ माना गया है. लंबी स्लीव वाली ड्रेस ना पहनना भी इसी इसी श्रेणी में रखा गया है. ये बात उन्होंने केरल हाई कोर्ट के फैसले के पैरा 29 के आधार पर की है. इसके बाद एडवोकेट कमात ने कहा कि बोलने का जो अधिकार दिया गया है, उसी के अंतर्गत राइट टू वीयर भी आता है. उन्होंने ये भी कहा कि निजता का भी हनन है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में साफ कहा था कि राइट टू वीयर भी निजता अधिकार के अंदर ही आता है.
इस बीच मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) ने जूनियर कॉलेज के छात्रों से मामला खत्म होने तक यूनिफॉर्म को लेकर सरकार की तरफ से जारी नियमों का पालन करने के लिए कहा है। उन्होंने शांति बनाए रखने की अपील भी की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अदालत के आदेश के बाद सरकार आगे का कोई कदम उठाएगी।
बता दें कि जनवरी में उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में हिजाब पहनकर पहुंचीं 6 छात्राओं को अंदर जाने से रोक दिया गया था। लेकिन वे फिर भी पहनकर आ गई थीं. उस विवाद के बाद से ही दूसरे कॉलेजों में भी हिजाब को लेकर बवाल शुरू हो गया और कई जगहों पर पढ़ाई भी प्रभावित हुई. इसके बाद से यह मामला तूल पकड़ा हुआ है। इनमें से एक छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया था।