आवेदन को वेबसाइट पर डालने से कोर्ट नाराज
आरटीआई कार्यकर्ताओं की गोपनीयता हो रही भंग
मुंबई-चार साल पहले 2016 में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश की अवहेलना को मुंबई उच्च न्यायालय ने गंभीरता से लिया है. इस पर संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति नितिन जामदार और मिलिंद जाधव की पीठ ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को अगले सप्ताह तक उचित आदेश जारी करने के लिए कहा है। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदक द्वारा मांगी गयी जानकारी का विवरण, आरटीआई कार्यकर्ता की गोपनीय निजी जानकारी के साथ प्रकाशित की जाती थी. जिस पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद 29 जुलाई 2016 को उच्च न्यायालय ने वेबसाइट पर डालने पर रोक लगा दिया था क्योंकि इसकी आड़ में हमले होते थे. इस आदेश के बावजूद केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर 4474 आवेदकों की जानकारी प्रकाशित की गयी है।
आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने ‘भारत की लक्ष्मी’ अभियान की जानकारी के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत अक्टूबर 2019 में आवेदन किया था। मंत्रालय द्वारा उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर उनके व्यक्तिगत विवरण प्रकाशित किए गए थे। गोखले ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में राम मंदिर के भूमिपूजन समारोह को करोना की पृष्ठभूमि में रोकने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी तो उन्हें फोन पर जान से मारने की धमकी दी गयी. गोखले द्वारा 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए आरोप लगाया गया है कि वह मंत्रालय की गैर-जिम्मेदाराना कार्रवाई से मानसिक रूप से परेशान थे।