कोरोना का साइड इफेक्ट, भूख से पलायन
मुंबई, वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पिछले 6 महीने से जारी लॉकडाउन के कारण जंगली जानवरों की भी हालत खराब होने लगी है। जरूरतमंद लोगों के लिए तो सामाजिक संस्थाओं ने भरपूर सहयोग किया लेकिन मुंबई के आरे और नेशनल पार्क में रहने वाले जानवरों की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं गया। उत्तर मुंबई के बोरीवली पूर्व के हजारों एकड़ में फैले नेशनल पार्क में रहने वाले बंदरों ने सीमा लांघते हुए अब इंसानी बस्तियों की तरफ रुख कर दिया है। जिसके कारण नागरिकों के सामने दिक्कत पैदा होने लगी है। मुंबई में अभी भी पब्लिक पार्क और समुद्री किनारे बंद पड़े है। इसके साथ संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान भी बंद है। जहां लोग प्रातः भ्रमण के साथ दिन में घूमने जाते थे जिससे बंदरों को खाना मिल जाता था। पिछले कुछ दिनों से बोरीवली पूर्व की अनेक बस्तियों में बंदरों के झुंड नजर आने लगे हैं। कस्तूरबा मार्ग क्रमांक 6 के गीता भवन के लोगों ने बताया कि अनेक बंदर खाना तलाशते हुए बिल्डिंगों की खिड़कियों से घुस जाते हैं। पिछले पंद्रह दिनों से सेंकड़ों की तादात में बंदर घरों, बाज़ार, मार्केट में घुस कर खाने की सामग्री तलाश रहे हैं।
बंदरों से बढ़ी परेशानी
स्थानीय लोगों का कहना है कि नेशनल पार्क में प्रवेश बंद होने के कारण जानवरों, पक्षियों को खाद्य सामग्री मिलना बन्द हो गया है। जिसके कारण बंदर बस्तियों में आ गए हैं। समस्या यह है कि यदि बंदरों ने वरिष्ठ नागरिक और बच्चों पर हमला कर दिया तो कौन जिम्मेदार होगा। कुछ दिनों पहले मालाड इलाके में भी इसी तरह की घटनाएं सामने आई थी, जिसमें कुछ बंदर लोगों के घरों की खिड़कियों में घूस रहे है। उत्तर मुंबई के सासंद गोपाल शेट्टी ने पिछले दिनों संबंधित अधिकारियों, मनपा आयुक्त, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर आरे कॉलोनी और नेशनल पार्क को जॉगिंग के लिए खोलने की मांग की थी। लेकिन सरकार और प्रशासनके कानों पर जूं नहीं रेंगी।