‘शक’ में शताब्दी अस्पताल का पुनर्निर्माण
खाट की संख्या कम हुई, बढ़ा खर्च का प्रमाण
381 करोड़ से बढ़कर लागत हुई 422 करोड़
उठने लगे सवाल, कहां गए जनता के 41 करोड़
मुंबई-गोवंडी, शिवाजी नगर, देवनार और मानखुर्द परिसर के लोगों का उपचार करने के लिए दशकों पूर्व बनाए गए एक मात्र शताब्दी अस्पताल के पुनर्निर्माण का मामला सवालों में आ गया है. अस्पताल के जर्जर हालात को देखते हुए मनपा प्रशासन द्वारा इसके पुनर्निर्माण करने का निर्णय लिया गया। मनपा अस्पताल के पुर्ननिर्माण में पहले से तय खाटों की संख्या कम करने के बावजूद इसके खर्च में 41 करोड़ की बढ़ोत्तरी कर दी गई है। मनपा अधिकारियो का यह फार्मूला किसी को भी हजम नहीं हो रहा है.
गौरतलब हो कि मनपा ने वर्ष 2007 में गोवंडी के शताब्दी अस्पताल के पुनर्निर्माण का निर्णय करते हुए ठेका दिया था। उस समय प्रस्तावित योजना के अनुसार 200 खाट की क्षमता वाली इस अस्पताल को 862 खाट की क्षमता के अनुसार बनाने का निर्णय लिया गया था। अस्पताल की इमारत को दस मंजिली बनाकर इसे आधुनिक सुविधाओं से युक्त करना था. ताकि पूर्वी उपनगर के लोगों को एक बड़ा अस्पताल मिल सके.
मनपा द्वारा अस्पताल के काम की शुरुआत भी गाजे बाजे के साथ कि गई। लेकिन झटका उस समय लगा जब मनपा ने 10 मंजिली इमारत को आठ मंजिला बनाने का निर्णय लिया। यही नहीं आठ मंजिल ईमारत में अब 862 की जगह 580 खाट का अस्पताल बनाया जाना है।
पहले अस्पताल बनाने की लागत 509 करोड़ में कटौती करते हुए 317 करोड़ खर्च करने की मंजूरी दी गई। लेकिन अब मनपा ने मंजूर किए गए खर्च में फिर फेरबदल करते हुए ठेकेदार को और 41 करोड़ रुपए देने का निर्णय लिया है। मजेदार बात यह है कि दस साल में अभी तक मात्र 5 प्रतिशत ही काम हुआ है फिर भी 41 करोड़ खर्च बढ़ाने का निर्णय सवाल खड़ा कर रहा है.