मुंबई। महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष पद पर आचार्य पवन त्रिपाठी की नियुक्ति की घोषणा की गई है, जो मुंबई भाजपा के उपाध्यक्ष भी हैं। आचार्य पवन त्रिपाठी ने इस प्रतिष्ठित पद को भगवान श्री गणेश की सेवा के रूप में स्वीकार किया है और इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण अवसर बताया। उन्होंने कहा, “यह मेरे लिए एक सौभाग्य की बात है कि मुझे श्री सिद्धिविनायक मंदिर जैसे महान धार्मिक संस्थान में कोषाध्यक्ष के रूप में सेवा का अवसर मिला है। यह पद केवल एक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि भगवान गणेश की कृपा से मिली एक विशेष सेवा का अवसर है।”
आचार्य पवन त्रिपाठी को हिंदू धर्म और संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में उनका समर्पण और योगदान के लिए जाना जाता है। वे पिछले कई वर्षों से संन्यास आश्रम से जुड़े हुए हैं, जहाँ उन्होंने हजारों छात्रों को संस्कृत में शिक्षा प्रदान की है। उनके मार्गदर्शन में अनेक विद्यार्थी न केवल संस्कृत भाषा में निपुण बने हैं, बल्कि उन्होंने हिंदू धर्म के शास्त्रों का गहन अध्ययन भी किया है। आचार्य त्रिपाठी का मानना है कि संस्कृत शिक्षा के माध्यम से समाज का विकास और धार्मिक जागरूकता संभव है, और वे इस दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं।
इसके अलावा, आचार्य त्रिपाठी केवल धार्मिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण राजनीतिक आंदोलनों में भाग लिया है और भारतीय राजनीति में एक युवा हिंदूवादी नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई है। उनका व्यक्तित्व न केवल हिंदू समाज, बल्कि उत्तर भारतीय समुदाय के बीच भी व्यापक रूप से स्वीकार्य है। उत्तर भारतीयों के सुख-दुख में उनकी उपस्थिति और सहयोग ने उन्हें एक संवेदनशील और समाज के प्रति समर्पित नेता के रूप में स्थापित किया है।
आचार्य पवन त्रिपाठी ने अपनी शिक्षा और राष्ट्र सेवा को एक साथ जोड़ते हुए लगातार समाज में जागरूकता और सुधार का कार्य किया है। वे न केवल एक शिक्षाविद और धार्मिक विद्वान हैं, बल्कि अपने राष्ट्रप्रेम और समाज के प्रति समर्पण के लिए भी जाने जाते हैं। सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे ट्रस्ट को धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से नई दिशा मिलने की उम्मीद है। उनकी इस नियुक्ति के बाद, राज्य भर में हिंदू समाज और उनके अनुयायियों में खुशी की लहर दौड़ गई है।