बॉम्बे हाईकोर्ट ने जॉनसन एंड जॉनसन (Johnson and Johnson) प्राइवेट लिमिटेड को महाराष्ट्र के मुलुंड प्लांट में बेबी पाउडर बनाने की अनुमति दे दी. लेकिन इसमें एक शर्त ये जोड़ी गई है कि कंपनी अपने रिस्क पर पाउडर बनाए. कंपनी को पाउडर बनाने की अनुमति तो मिल गई, लेकिन प्रोडक्ट की न बिक्री होगी और न ही डिस्ट्रिब्यूशन.
ऐसा इसलिए क्योंकि महाराष्ट्र के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने बिक्री और वितरण पर रोक लगा रखी है. अभी हाल में एफडीए ने जॉनसन एंड जॉनसन प्लांट के बेबी पाउडर बनाने के लाइसेंस को रद्द कर दिया था. इसी के साथ कंपनी को प्रोडक्ट बाजार से वापस लेने का आदेश दिया था.
कंपनी ने राज्य सरकार के दो आदेशों को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की थी. इनमें से 15 सितंबर के आदेश में लाइसेंस रद्द करने और 20 सितंबर के आदेश में कंपनी के बेबी पाउडर का उत्पादन और बिक्री को तुरंद बंद करने के लिए कहा गया था. ये आदेश राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के संयुक्त आयुक्त और लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने जारी किये थे.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बेबी पाउडर बनाने की इजाजत देने के साथ उसके सैंपल की जांच का आदेश दिया. दो हफ्ते के अंदर बेबी पाउडर के नमूनों की दोबारा जांच पूरी की जाएगी. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एफडीए पाउडर का सैंपल ले और उसे दो सरकारी लेबोरेटरी और एक प्राइवेट लैब में री-टेस्टिंग के लिए भेजे.

हाईकोर्ट ने कहा कि सैंपल केंद्रीय दवा परीक्षण प्रयोगशाला (पश्चिमी क्षेत्र), एफडीए लैब और इंटरटेक लैबोरेटरी को जांच के लिए भेजे जाएंगे. इसके बाद इन प्रयोगशालाओं को एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी होगी.
हाल में महाराष्ट्र सरकार ने जनहित का हवाला देते हुए Johnson and Johnson के बेबी पाउडर पर रोक लगा दी थी. कंपनी के मुलुंड प्लांट से बेबी पाउडर से लिए सैंपल को ‘स्टैंडर्ड क्वालिटी’ का नहीं पाया गया था.
क्या है पूरा मामला
दिसंबर 2018 में एफडीए ने एक औचक निरीक्षण किया था. इसमें जॉनसन एंड जॉनसन के पुणे और नासिक प्लांट में क्वालिटी चेकिंग की गई. मुलुंड प्लांट से लिए गए बेबी पाउडर के सैंपल को स्टैंडर्ड क्वालिटी का नहीं पाया गया. 2019 में इस टेस्टिंग पर फैसला आया जिसमें कहा गया कि बच्चों के लिए यह स्किन पाउडर आईएस 5339:2004 के नियमों के मुताबिक नहीं है. इसके बाद ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के अंतर्गत कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. लेकिन कंपनी ने इस कार्रवाई को चुनौती दी और री-टेस्टिंग की फरियाद लगाई.