बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले से ट्रेन से यात्रा करने वाले लोगों को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने कहा है कि लोकल ट्रेनें मुंबई की लाइफ लाइन हैं, हर रोज हजारों लोग इनमें सफर करते हैं। ऐसे में अगर भीड़ के चलते कोई ट्रेन में चढ़ते समय गिर जाता है और घायल हो जाता है, या फिर ट्रेन से गिरने पर उसकी मौत हो जाती है। इस तरह की घटनाओं में रेलवे को मुआवजा देने होगा।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने पश्चिमी रेलवे को 75 वर्षीय एक बुजुर्ग को तीन लाख रुपये हर्जाने के तौर पर देने के निर्देश दिए। ये बुजुर्ग व्यक्ति खचाखच भरी एक लोकल ट्रेन से गिर गए थे और उनके पैरों में चोट आई थी।
12 अप्रैल के इस आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध हो सकी। पश्चिम रेलवे ने अपने तर्क में कहा कि मामला रेलवे अधिनियम की धारा 124 (ए) के प्रावधानों के तहत नहीं आता है, जिसमें कहा गया है कि अप्रिय घटनाओं के मामलों में मुआवजे देना होगा।
रेलवे ने दावा किया कि याचिकाकर्ता नितिन हुंडीवाला ने चलती ट्रेन में चढ़ने की कोशिश की। न्यायमूर्ति डांगरे ने रेलवे के तर्क को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि वर्तमान मामला स्पष्ट रूप से अधिनियम की धारा 124 (ए) के तहत ‘अप्रिय घटना’ के दायरे में आता है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि दुर्घटना से वह आज तक परेशान हैं और उन्हें चलने फिरने और भारी सामान उठाने में कठिनाई होती है।