बैंक का करार पूरा होने से नकद और चेक का अंबार कोलाबा डिपो के सामने अजीब संकट
मुंबई– कोरोना के इस संकट काल में मुंबई मनपा के सामने एक अनोखा ‘अर्थ’ धर्म संकट खड़ा हो गया है. बिजली बिलों और बेस्ट बसों से मिलने वाली प्रतिदिन की करोड़ों की नकदी और चेक बैंक में जमा नहीं हो पा रही है. दक्षिण मुंबई स्थित कोलाबा डिपो में इसके चलते बड़ी संख्या में नकद धनराशि और चेक जमा हो गए हैं. गौरतलब हो कि नकदी और चेक जमा करने के लिए मनपा का आईसीआईसीआई बैंक के साथ दस वर्षीय समझौता हुआ था जिसके तहत नकदी और चेक (धनादेश) बैंक में जमा करने का काम आईसीआईसीआई द्वारा किया जाता था. लेकिन एक साल पूर्व बैंक ने रकम संभालने में दिक्कत होने का कारण बताते हुए करार को समाप्त कर दिया। करार की समाप्ति के बाद बेस्ट के लिए दैनिक आधार पर इस राशि को संभालना बड़ा मुश्किल बना दिया है। कोरोना संकट के चलते लागू लॉकडाउन से यह समस्या और भी गंभीर हो गयी है. इसके चलते बेस्ट को हर महीने लाखों रुपये के ब्याज पर चपत लग रही है.
अब बेस्ट प्रशासन के सामने सबसे बड़ा सवाल यह उत्पन्न हो गया है कि परिवहन और बिजली आपूर्ति विभाग में प्रतिदिन जमा होने वाली 4-5 करोड़ रुपये की राशि को कैसे संभाला जाए। विभाग के कुछ कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बेस्ट ने तालाबंदी के दौरान कागज बिजली बिल जारी करना बंद कर दिया था। इसलिए केवल उन्ही ग्राहकों ने ही अपने बिलों का भुगतान ऑनलाइन किया जो कर सकते थे. लेकिन अब तालाबंदी में ढील देने से लोग अपने बिलों का भुगतान करने के लिए केंद्रों में नकद और चेक द्वारा कर रहे हैं। चूंकि उपभोक्ता पिछले तीन महीनों से अपने बिलों का भुगतान नहीं कर सके थे इसलिए बिजली कनेक्शन कटने के डर से बड़ी संख्या में केंद्रों पर जमा हो रहे हैं. नतीजतन बिजली बिल भुगतान केंद्र पर बड़ी मात्रा में नकदी और चेक जमा होने लगे हैं। अब तक बेस्ट के परिवहन विभाग के छुट्टे (चिल्लर) का मुद्दा हल नहीं हुआ था कि बिजली विभाग में जमा होने वाले नकद का मुद्दा सामने आ गया है. बेस्ट कर्मचारियों को इस राशि और चेक के साथ बैंक में घंटों बिताना पड़ता है, इससे उनमें नाराजगी व्याप्त है. जबकि अधिकारी निजी तौर पर कहते हैं कि जनशक्ति घटने से समस्या बढ़ रही है।