मुंबई, वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पिछले 6 महीने से आम लोगों के लिए बंद लोकल ट्रेनों का मामला अब मुंबई हाईकोर्ट में पहुंच गया है। लोकल से अदालत आने वाले वकीलों और उनके मुवक्किलों को हो रही दिक्कत को लेकर वकिलों ने अदालत का रुख किया है। एक जनहित याचिका पर बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र सरकार से सवाल किया है कि उसकी कोविड-19 महामारी के मद्देनजर उपनगरीय ट्रेन सेवाओं को कब तक प्रतिबंधित रखने की योजना है।
अदालत मुंबई में वकीलों को लोकल ट्रेन में यात्रा करने की अनुमति देने संबंधी एक याचिका और उससे संबंधित अन्य आवेदनों पर सुनवाई कर रही थी। लोकल ट्रेन सेवाएं नियमित रूप से बहाल करने की फिलहाल कोई योजना नहीं होने की राज्य सरकार की दलील का जिक्र करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, हमें अब वायरस के साथ ही रहना होगा। यह कब तक चलेगा ? छह महीने हो गये। याचिकाकर्ताओं के वकील श्याम देवानी तथा उदय वारुंजीकर ने बृहस्पतिवार को अदालत से अनुरोध किया कि राज्य सरकार को वकीलों को लोकल ट्रेनों से यात्रा की इजाजत देने का निर्देश दिया जाए। बहरहाल राज्य सरकार के असमंजस से आम यात्रियों के सब्र का बांध टूट रहा है। आए दिन स्टेशनों पर रेल कर्मचारियों के साथ धक्का मुक्की की खबरें आती रहती है। अंधेरी कोर्ट बार असोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एड के. पी. मिश्र के अनुसार मुंबई की बेस्ट बसें यात्रियों की भीड़ को ढोने में नाकाफी साबित हो रहीं हैं। बसों में यात्रा करने के लिए लोगों को कई कई घंटे कतारों में खड़ा रहना पड़ता है। सरकार ने कर्मचारियों से काम पर आने का फरमान तो जारी कर दिया लेकिन कैसे आएं इसकी व्यवस्था नहीं की।