कोरोना वायरस पर नजर रखने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की बनाई गई नेशनल कोविड टास्क फोर्स टीम के सदस्य और कोविड टीकाकरण अभियान के प्रमुख डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि एवाई स्वरूप उतना खतरनाक नहीं है जितना बताया जा रहा है। वह कहते हैं कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर के विशेषज्ञों की टीम हर हफ्ते वायरस के जिनोमिक्स को न सिर्फ ऑब्जर्व करती है बल्कि उनकी फाइंडिंग्स भी करती रहती है…
इन दिनों पूरे देश में कोरोना वायरस के एक नए स्वरूप एवाई.4.2 को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। चर्चा इस बात की हो रही है कि यह वायरस का बदला हुआ नया स्वरूप डेल्टा वैरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक है। लेकिन हकीकत में ऐसा बिल्कुल नहीं है।
विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप से डरने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि एवाई वैरिएंट उतना खतरनाक नहीं है, जितना डेल्टा खतरनाक था। विशेषज्ञों की टीम ने यह निष्कर्ष काफी समय तक वायरस के जिनोमिक्स को समझने के बाद निकाला है।
हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय के विशेषज्ञों का कहना है कि त्योहार के सीजन में वैसे भी लोगों को ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है। लेकिन वायरस के बदले वैरिएंट से डरने की बिल्कुल जरूरत नहीं है।
कोरोना वायरस पर नजर रखने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की बनाई गई नेशनल कोविड टास्क फोर्स टीम के सदस्य और कोविड टीकाकरण अभियान के प्रमुख डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि एवाई स्वरूप उतना खतरनाक नहीं है जितना बताया जा रहा है। वह कहते हैं कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर के विशेषज्ञों की टीम हर हफ्ते वायरस के जिनोमिक्स को न सिर्फ ऑब्जर्व करती है बल्कि उनकी फाइंडिंग्स भी करती रहती है।
डॉक्टर अरोड़ा के मुताबिक एवाई वायरस के जिनोमिक्स को समझने के बाद यह तय किया गया है कि यह वायरस उतना मारक नहीं है जितना कि डेल्टा था। डेल्टा वैरिएंट ने न सिर्फ अपने देश बल्कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा तबाही मचाई। डेल्टा वैरिएंट की वजह से ही दूसरी लहर सबसे ज्यादा मारक और खतरनाक साबित हुई।
डॉक्टर अरोड़ा के मुताबिक डेल्टा वैरिएंट के बाद अब तक 37 ऐसे नए वायरस म्यूटेशन हो चुके हैं जो देश और दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में लोगों में पाए गए। लेकिन इनमें से कोई भी वायरस डेल्टा वैरिएंट के बराबर न खतरनाक था और न ही इनमें उसकी तरह संक्रमण के प्रसार की क्षमता थी। वह कहते हैं कि हर वायरस को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के विशेषज्ञों की टीम स्टडी करती है। जिसमें जिनोम सीक्वेंसिंग के साथ-साथ उससे मल्टीप्लाई होने वाले वायरस म्यूटेशन को भी रीड किया जाता है।
डॉक्टर अरोड़ा के मुताबिक हर सप्ताह यह प्रक्रिया होती है। इसका एक पूरा वैज्ञानिक सेटअप तैयार है। पूरे देश भर में जो भी कोविड-19 के नए मरीज सामने आते हैं उनमें पाए गए वायरस का अध्ययन किया जाता है और उसके बाद उसकी पूरी पड़ताल की जाती है।
कोरोना अब ढलान पर, सौ फीसदी टीकाकरण से लगेगा अंकुश
डॉक्टर अरोड़ा के मुताबिक इस वक्त देशभर में रोजाना तकरीबन 16 हज़ार के करीब पॉजिटिव मरीजों की संख्या पहुंच रही है। वह कहते हैं कि यह संख्या किसी भी महामारी के ढलान का सूचक होता है। हालांकि डॉ अरोड़ा का कहना है कि हमारे देश में लगातार टीकाकरण बढ़ता जा रहा है और कोरोना के मामले कम होते जा रहे हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में पहली डोज़ के सौ फ़ीसदी टीकाकरण होने के साथ ही इस बीमारी पर और ज्यादा अंकुश लगा लिया जाएगा।