छठ पूजा पर भी कोरोना का संकट
छठ भक्तों को असमंजस की स्थिति
प्रशासन की तरफ से अब तक नहीं जारी हुआ कोई गाइड लाइन
ठाणे-उत्तर प्रदेश व बिहार के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार डाला छठ पूजा की तैयारी शुरू हो गई है. लेकिन इस त्यौहार पर भी कोरोना का संकट छाया हुआ है. वहीँ प्रशासन की तरफ से अब तक कोई गाइड लाइन न आने के कारण भक्तरों में कही-न-कहीं असमंजस की स्थिति बनी हुई है. बहरहाल इस संदर्भ में ठाणे महापौर नरेश म्हस्के का कहना है कि कोरोना का संकट अभी तक खत्म नहीं हुआ है. लेकिन भक्तों के भावनाओं का भी ख्याल रखा जाएगा और इस संदर्भ में वे जल्द है मनपा आयुक्त से चर्चा कर गाइड लाइन तैयार करने के लिए निर्देश देंगे.
आपको बतादें कि पूर्ति उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग डाला छठ त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाते है. लोक आस्था के इस महापर्व के प्रति लोगों का लगाव जितना ही गहरा है उतना ही यह पर्व सामाजिक समरसता को मजबूत भी बनाता है. इस छठ पूजा में सूप, दौरा आदि के साथ गन्ना का उपयोग भी किया जाता है. हालांकि इस बार वैश्विक महामारी कोरोना का असर इन पर भी देखने को मिल रहा है.
आस्था का पर्व कहे जाने वाले छठ पूजा की तैयारियां अब शुरू हो गयी है. चार दिन तक चलने वाले इस पर्व को लेकर नई नवेली दुल्हनों में गजब का उत्साह और जोश देखने को मिलता है. यह पर्व उत्तर भारत के राज्यों ख़ास तौर पर बिहार, झारखंड और यूपी में मनाया जाता है. जिन- जिन राज्यों में उत्तर भारतीय रहते हैं वहां भी छठ पूजा बड़ी धूमधाम से देखने मिलता है. छठ पूजा को लेकर अब आस्था कम और राजनीति अधिक देखने को मिलती है.
18 से नहाय खाए के साथ शुरू होगा त्यौहार
इस बार कोरोना के संक्रमण में छठ पूजा पड़ रही है. ऐसे में अन्य त्योहारों की तरफ इस पर संकट के बादल मंडरा रहे है. इस बार छठ पूजा 18 नवंबर को नहाए खाय से शुरू होगी. व्रती महिलाएं विधि विधान से कच्चे चूल्हे पर बनाई गई गेहूं की रोटी और लौकी-चने की दाल की सब्जी को खाती हैं. एक बार आहार लेने के बाद महिलाएं अगले दिन ही खरना का प्रसाद ले सकती हैं.
छठ पर्व के दूसरे दिन यानी 19 नवंबर को खरना होगा. खरना के दिन गुड़ की खीर बनती है और कच्चे चूल्हे पर रोटियां सेंकी जाती हैं. इसी को छठ परमेश्वरी की पूजा के बाद प्रसाद के तौर पर व्रती खुद भी खाती हैं और इसे ज्यादा से ज्यादा बांटा जाता है.
20 नवंबर अस्ताचंल और 21 को उगते सूर्य को अर्ग्य देकर समाप्त होगी पूजा
20 नवंबर को यानी तीसरे दिन महिलाएं सुबह उठने के बाद नहा धोकर डाला तैयार करेगी. इस डाले में 5 तरह के फल और नई कच्ची सब्जियों से पूजा के लिए प्रसाद के रखती हैं. दिन भर वह डाले में तमाम तरह की चीजें शामिल करती हैं और शाम हो महिलाएं सूरज डूबने से पहले नदी के घाट या तालाब किनारे पहुंच जाती हैं. जैसे ही सूरज का ढलना शुरू हो जाता महिलाएं डाले की सामग्री को चढ़ाती हैं और सूर्य की पहली पत्नी अस्ताचल की आराधना करती हैं, इस दौरान ढलते सूरज को अर्ध्य देना शुभ माना जाएगा. अस्ताचल की पूजा रात में घर पर भर सभी महिलाएं भजन कीर्तन करती हैं. इस दिन महिलाएं कुछ भी बिना खाए पिए निर्जला व्रत करती हैं.
छठ पर्व के आखिरी दिन को व्रती महिलाएं उगते सूरज को अर्ध्य देती हैं. आखिरी दिन वह सुबह के 3 से 4 बजे के बीच उठती हैं और पूजा की तैयारियां शुरू कर देती हैं. इस दिन व्रती उगते हुए सूरज की पहली किरण की लालिमा को अर्ध्य देती हैं. इस दिन महिलाएं सूरज उगने के आधे घंटे पहले से ही कमर तक गहरे पानी में खड़ी रहती हैं और सूरज की पहली किरण आने की प्रतीक्षा करती हैं. उगते सूर्य को प्रणाम करने यानी अर्घ्य के साथ ही छठ पर्व की पूजा समाप्त हो जाती है. इस तरह से बड़ी धूमधाम से महिलाएं पूजा कर छठ मइया से अपने और परिवार की मंगल कामना करती हुई पूजा समाप्त करती हैं.
ठाणे और मुंबई सहित पुरे एमएमआरए रीजन में लाखों की संख्या में श्रद्धालु छठी माता की पूजा करते हैं. ठाणे के कल्याण में भी बड़ी धूमधाम से छठ पूजा मनाया जाता है. ठाणे में भी बाकायदा कई राजनीतिक पार्टियों के मंच सजते हैं.
भक्तों ने प्रशासन से की जल्द निर्णय लेने की मांग
वहीँ इस वर्ष कोरोना का संक्रमण बना हुआ है. ठाणे शहर में आज भी प्रतिदिन 150 से 200 के बीच कोरोना के नए मरीज मिल रहे है. वहीँ जिले में यह आंकड़ा 500 से 1000 के बीच है. ऐसे अब तक छठ पूजा के संदर्भ में प्रशासन की तरफ से कोई निर्णय नहीं लिया गया है. इसलिए अब छठ पूजा का आयोजन करने वाली संस्थाएं भी प्रशासन से जल्द निर्णय लेने की गुहार लगा रही है.
ठाणे के उत्तर भारतीय जनसहयोग संस्था के अध्यक्ष व शिवसेना के कोपरी-पांच पखाड़ी के उत्तर भारतीय संघटक संजय झा ने ठाणे के पालकमंत्री एकनाथ शिंदे और ठाणे के महापौर नरेश म्हस्के को पत्र देकर छठ पूजा के आयोजन को लेकर प्रशासन द्वारा जल्द ही गाईड लाइन जारी करने की मांग की है. संजय झा का कहना है कि ठाणे शहर और जिले भर में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग अधिक संख्या में रहते है और इस त्यौहार को बड़े ही धूम धाम से मनाते है. शहर के तालाबों पर 20 नवंबर की शाम सूर्य अस्तांचल और 21 नवंबर की सुबह सूर्य को अर्ग्य देने के लिए भक्त बड़ी संख्या में आते है. इसलिए प्रशासन को जल्द ही इस संदर्भ में निर्णय लेना चाहिए.
“उत्तर भारतियों के आस्था का त्यौहार डाला छठ है और इस संदर्भ में छठ भक्तों के मांगों को ध्यान में रखकर जल्द ही प्रशासन की तरफ से गाइड लाइन तैयार किया जाएगा. इसके लिए मनपा आयुक्त डॉ विपिन शर्मा से भी चर्चा करूँगा.”-नरेश म्हस्के (महापौर-ठाणे)