मुंबई. स्थानीय कुलाबा में रहने वाले एक व्यापारी परिवार को लूट के 22 साल बाद महाराष्ट्र पुलिस (Maharashtra Police) से पुश्तैनी सोना वापस मिला है. इस घटना से परिवार को पुरानी यादें ताजा हो गईंं और परिजन भावुक हो गए. यहां रहने वाले अर्जुन दासवानी के घर 6 अप्रैल 1998 की सुबह 8 बजे चार बदमाश चाकू लेकर घुसे थे और परिवार को बंधक बना लिया था. बदमाशों ने यहां से दो क्वाइन, सोने का ब्रेसलेट और दूसरे आभूषण आदि लूट लिए थे. इस घटना पर महाराष्ट्र पुलिस ने धारा 342, 394, 397, 452, और 34 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी.
कुलाबा डिवीजन के एसीपी पांडुरंग शिंदे ने बताया कि सुबह के समय दासवानी, उनकी पत्नी, बच्चे और नौकर मौजूद थे. बदमाशों ने घर की घंटी बजाई और दरवाजा खुलते ही वे घर में दाखिल हो गए. बदमाशों ने घर में मौजूद सभी लोगों के हाथ-पैर बांधे और दासवानी की पिटाई की. उन्होंने घर के लॉकर की चाबी मांगी. घर वालों की सुरक्षा को देखते हुए दासवानी ने लॉकर की चाबी बदमाशों को दे दी. बदमाशों ने लॉकर में रखे सोने के आभूषण लूट लिए थे. इसमें दो बहुमूल्य क्वाइन भी थे. इसमें एक पर रानी विक्टोरिया और दूसरे पर रानी एलिजाबेथ की आकृति बनी हुई थी.
22 साल पहले मात्र 13 लाख रुपए थी कीमत
पुलिस अधिकारी ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार उस समय आभूषण की कीमत 13 लाख 45 हजार रुपए बताई गई थी जो आज बढ़कर 1.5 करोड़ रुपए से अधिक हो गई है. रानी विक्टोरिया और रानी एलिजाबेथ की आकृति वाले क्वाइन की हेरिटेज वैल्यू का अनुमान लगाना कठिन है. एसीपी पांडुरंग शिंदे ने बताया कि इस प्रकरण में कुल नौ आरोपी थे, जिनमें से एक आज तक पुलिस को नहीं मिल सका है. इनमें से तीन आरोपी निर्दोष करार हो गए थे. वहीं एक आरोपी के नहीं मिलने से कोर्ट ने बदमाशों से रिकवर किए गए सोने के आभूषण आदि को संभाल कर रखने का आदेश दिया था.
ट्रायल पूरा होने तक नहीं दिया जाता बरामद सामान
एसीपी पांडुरंग शिंदे ने कहा कि कोर्ट के आदेश थे कि बरामद सामान ट्रायल पूरा होने तक संभालकर रखा जाए इस लिए इसे मालिक को नहीं दिया गया था. लेकिन मुंबई कमिश्नर ने एक आदेश दिया कि ऐसे मामलों में जब्त किए गए सोने-चांदी के सामान को उसके मालिकों को लौटा दिया जाए. इसके बाद दासवानी के बेटे ने कोर्ट में अर्जी लगाई और बताया कि उनके पिता का 2007 में निधन हो चुका है. इसके बाद प्रक्रियाएं पूरी कर उन्हें सोने के आभूषण आदि सौंप दिए गए.