कई दिनों से गायब चल रहे मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ बुधवार को तीसरा गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी हुआ है. यह मुंबई में दर्ज उगाही के एक मामले में जारी हुआ है.
मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ बुधवार को एक गैर जमानती वारंट जारी किया गया. यह वारंट उनके खिलाफ दर्ज फिरौती के मामलों में जारी किया गया है. महाराष्ट्र के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने की मांग करते हुए कहा था कि उन्होंने पुलिस की छवि खराब की है.
यह केस महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख से जुड़े 100 करोड़ रुपये की वसूली के मामले से जुड़ा है. राज्य सरकार ने इसकी जांच के लिए चांदीवाल आयोग का गठन किया है. इस मामले में आयोग परमबीर सिंह के बयान दर्ज करने व गवाही के लिए उन्हें कई बार समन भेज चुका है, लेकिन इससे बावजूद वह आयोग के सामने पेश नहीं हुए हैं.
परमबीर के खिलाफ यह तीसरा NBW मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में दर्ज जबरन वसूली के केस में जारी हुआ है. मंगलवार को इसी केस से जुड़े मामले में सीआईडी ने दो पुलिस अधिकारियों- इंस्पेक्टर नंदकुमार गोपाले और आशा कोरके को गिरफ्तार किया था. ये दोनों पुलिस अधिकारी पहले मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच में पदस्थ थे. नंदकुमार गोपाले फिलहाल खंडाला पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में तैनात थे और आशा कारके की तैनाती नैगांव लोकल आर्म्स यूनिट में थी.
इन दोनों को रीयल एस्टेट कारोबारी श्यामसुंदर अग्रवाल की रिपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया है. अग्रवाल ने इसी साल 22 जुलाई को मरीन ड्राइव थाने में परमबीर सिंह व अन्य पुलिस अधिकारियों द्वारा वसूली को लेकर एफआईआर दर्ज कराई थी. अदालत के सामने पेश करने के बाद दोनों को सात दिन की सीआईडी हिरासत में भेज दिया गया था.
ठाणे पुलिस ने जारी किया था लुकआउट नोटिस
ठाणे पुलिस ने परमबीर सिंह के खिलाफ हाल ही में लुकआउट नोटिस जारी किया था. फिरौती और उगाही के मामले में ठाणे में केतन तन्ना द्वारा परमबीर सिंह सहित 28 लोगों पर केस दर्ज कराया था. केतन ने परमबीर पर झूठे आरोप में फंसा कर उगाही करने का आरोप लगाया था. केस के सभी 28 आरोपियों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है. मामले के कुछ आरोपी पहले से जेल में है. अन्य आरोपी विदेश न भाग जाए, इसलिए यह लुकआउट नोटिस जारी किया गया था। हालांकि, इसके बावजूद परमबीर सिंह गायब हैं.