आशाराम बापू को गुजरात की गांधीनगर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। आशाराम बापू को यह सजा सूरत की दो बहनों के साथ रेप के मामले में मिली है। इससे पहले जोधपुर कोर्ट ने 25 अप्रैल 2018 को यूपी की एक नाबालिग से रेप के मामले में आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तब से वह जोधपुर की जेल में बंद है। अब गांधीनगर कोर्ट ने उन्हें बलात्कार के एक और मामले में दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।
एक दिन पहले 30 जनवरी को कोर्ट ने आशाराम बापू को दोषी करार दिया है। आसाराम पर सूरत की एक महिला ने करीब 10 साल पहले अहमदाबाद के मोटेरा आश्रम में बार-बार रेप करने का आरोप था। लंबी सुनवाई के बाद गांधीनगर एडिशन डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस कोर्ट ने सोमवार को आशाराम बापू को रेप के मामले में दोषी बताया।
ये मामला साल 2013 का है, जिसमें सूरत की दो बहनों से आसाराम बापू पर रेप का आरोप लगाया था। इस मामले में आसाराम का बेटा नारायण साईं भी आरोपी था। गांधीनगर सेशन कोर्ट ने इस मामले में आसाराम बापू के खिलाफ सजा सुनाई। इस मामले में आसाराम की पत्नी लक्ष्मी, बेटी भारती और चार महिला अनुयायियों को भी आरोपी बनाया गया था। लेकिन इन सभी को सबूतों के अभाव में गांधीनगर कोर्ट ने बरी कर दिया था।
क्या था मामला
साल 2013 में सूरत की दो बहनों ने नारायण साईं और उसके पिता आसाराम के खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज कराई थी। अहमदाबाद के चांदखेड़ा थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, आसाराम ने 2001 से 2006 के बीच महिला से कई बार बलात्कार किया था, जब वह शहर के बाहरी इलाके में स्थित उसके आश्रम में रहती थी। छोटी बहन ने शिकायत में कहा था कि नारायण साईं ने 2002 से 2005 के बीच उसके साथ बार-बार रेप किया।
सूरत की रहने वाली महिला ने अक्टूबर 2013 में आसाराम और सात अन्य के खिलाफ बलात्कार और अवैध तरीके से कैद रखने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था। एक आरोपी की मुकदमा लंबित रहने के दौरान मौत हो गई। जुलाई 2014 में मामले में आरोप पत्र दायर किया गया था।
आसाराम के बेटे को भी हुई थी सजा
पीड़िता की छोटी बहन ने आसाराम के बेटे नारायण साईं पर अवैध रूप से कैद कर रखने और बलात्कार का आरोप लगाया था। साईं को अप्रैल 2019 में सूरत की एक सत्र अदालत ने इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
2001 का मामला, आशाराम के डर से 2013 में दर्ज कराया था केस
रेप का यह मामला 2001 का है। लेकिन उस समय आशाराम बापू की प्रसिद्धि से डर कर उनके खिलाफ पीड़ितों ने केस नहीं किया था। जब जोधपुर वाला मामला सामने आया तब सूरत की दो लड़कियों के साथ दुष्कर्म के मामले में 2013 में केस दर्ज किया गया था।