दिल्ली के चर्चित कंझावला केस में गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में 11 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है। ये सभी पुलिसकर्मियों उसी रुट पर ड्यूटी पर तैनात थे, जहां ये वारदात हुई थी।
सस्पेंड पुलिसकर्मियों में से 6 पीसीआर की ड्यूटी में तैनात थे और 5 पुलिसकर्मी पिकेट पर तैनात थे। इन पुलिसकर्मियों में 2 सब इंस्पेक्टर, 4 असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर, 4 हेड कॉन्स्टेबल, 1 कॉन्स्टेबल शामिल हैं।
इससे पहले गुरुवार (12 जनवरी) को दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्रालय को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी। जिसका अध्ययन करने के बाद गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से कहा था कि घटनास्थल के आसपास तैनात रहे तीन पीसीआर (PCR) और दो पुलिस पिकेट पर पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करते हुए उनपर अनुशासनात्मक कारवाई की जाए।
गृह मंत्रालय ने जांच में खामियां पाने को लेकर दिल्ली पुलिस आयुक्त को जांच अधिकारी के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने की भी बात कही थी। साथ ही मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को मामले में जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल कर अपराधियों को सजा दिलाने का निर्देश दिया।
मंत्रालय ने कहा है कि इलाके के डीसीपी स्पष्टीकरण दें कि जिस वक्त वारदात हुई, उस वक्त इलाके में कानून व्यवस्था के क्या इंतजाम थे और उचित जवाब नहीं मिलने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अन्य निर्देश में कहा है कि वारदात की जगह के आसपास के इलाकों में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था की जाए। गृह मंत्रालय ने संबंधित विभाग से यह भी कहा है कि दिल्ली के सुनसान इलाकों में और बाहरी दिल्ली के कई इलाकों में सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए जाएं।
क्या है पूरा मामला
कंझावला इलाके में 1 जनवरी को तड़के अंजलि की लाश नंगी हालत में सड़क पर मिली थी। उसकी स्कूटी के कार से टकराने के बाद वह कार के नीचे फंस गई थी, लेकिन रुकने की बजाय कार उसे दिल्ली की सड़कों पर 12 किलोमीटर तक घसीटती रही थी। चौंकाने वाली बात ये है कि ये सब न्यू ईयर पर पुख्ता सुरक्षा के दिल्ली पुलिस के दावों के बीच हुआ। पुलिस ने इस मामले में सात आरोपियों आशुतोष, अंकुश खन्ना, दीपक खन्ना, अमित खन्ना, कृष्ण, मिथुन और मनोज मित्तल को गिरफ्तार किया है। अंकुश को कोर्ट ने जमानत दे दी है और बाकी सभी अभी हिरासत में हैं।