बच्चों के अश्लील फोटो और वीडियो की ऑनलाइन बिक्री और वितरण (Child Pornography) के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बड़ा एक्शन किया है. देशभर में 56 स्थानों पर छापे मारे जा रहे हैं और इस गंदे काम में लिप्त लोगों की धरपकड़ की जा रही है. सीबीआई ने इसे ऑपरेशन ‘मेघचक्र'( Operation Meghchakra) नाम दिया है.
अधिकारियों के मुताबिक, छापेमारी का उद्देश्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऐसी सामग्री को वितरित करने में शामिल व्यक्तियों और गिरोहों की पहचान करना और उनके खिलाफ कार्रवाई करना है. माना जा रहा है कि इस गोरखधंधे के लिए कई नाबालिगों को ब्लैकमेल भी किया जाता है.
CBI ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े दो मामलों में शनिवार को 19 राज्यों और एक केंद्र-शासित प्रदेश में 56 ठिकानों पर छापेमारी की. CBI के एक अधिकारी ने बताया कि छापेमारी इंटरपोल सिंगापुर से मिली सूचना और पिछले साल के ‘ऑपरेशन कार्बन’ के दौरान प्राप्त खुफिया जानकारी पर आधारित है. इंटरपोल से मिली जानकारी के बाद इस पूरे नेटवर्क पर नकेल कसने के लिए 200 से अधिक CBI अधिकारियों की विभिन्न टीमों का गठन किया गया.
सीबीआई के मुताबिक कई ऐसे गैंग चिह्नित किये गए हैं, जो न केवल चाइल्ड सेक्सुअल प्रोनोग्राफी के संबंधित साम्रगी का व्यापार करते हैं, बल्कि बच्चों को फिजिकली ब्लैकमेल भी करते हैं. ये गैंग दोनों तरीके से काम करता है. समूह बनाकर और व्यक्तिगत तौर पर भी.
इस ऑपरेशन के तहत क्लाउड स्टोरेज सुविधाओं को भी टारगेट किया जा रहा है. यही कारण है कि ऑपरेशन को मेघचक्र नाम दिया गया है. क्लाउड स्टोरेज सुविधाओं का उपयोग पेडलर्स द्वारा किया जाता है. इसी तकनीक का उपयोग कर नाबालिगों के साथ अवैध यौन गतिविधियों के ऑडियो-विजुअल प्रसारित किए जा रहे हैं. सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि सीबीआई साइबर अपराध के खिलाफ कार्रवाई करती रही है. इस बार सीएसएएम पेडलर्स को निशाने पर लिया गया है.
देश में चाइल्ड पोर्नोग्राफी का मामला कोई नया मामला नहीं है. यह देश में लगातार चिंता का विषय रहा है. भारत में सोशल मीडिया साइट्स पर अपलोड होते चाइल्ड पोर्नोग्राफी के वीडियो और कंटेंट को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जता चुका है.
बता दें कि बीते साल नंबर में चाइल्ड पॉर्नोग्राफी से जुड़े मामले में सीबीआई ने देश के 14 राज्यों में 77 ठिकानों पर रेड की थी, इसमें यूपी के जालौन, मऊ से लेकर नोएडा और गाजियाबाद जैसे बड़े शहर भी शामिल थे. इस दौरान सीबीआई ने अलग-अलग शहरों से 7 लोगों को गिरफ्तार किया था. सीबीआई की रडार पर 50 से ज्यादा वाट्सएप ग्रुप थे, जिनमें 5000 से ज्यादा लोगों के नाम सामने आए थे, जो इस केस से जुड़ी सामग्री सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे. इसी कड़ी में सीबीआई ने यह छापेमारी की है.