26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा मामले में आरोपी पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू (Deep Sidhu) को दिल्ली की कोर्ट से राहत मिली है. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दीप सिद्धू को 30 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है. हालांकि कोर्ट ने दीप सिद्धू को जमानत देने के पीछे कुछ शर्त लगाई है.
तीस हजारी कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दीप सिद्धू पुलिस की जांच में मदद करेगा और गवाहों को प्रभावित नहीं करेगा. 24 घंटे अपने फोन को ऑन रखना होगा और अपनी लोकेशन की जानकारी जांच अधिकारी को देनी होगी.
इससे पहले दीप सिद्धू की जमानत याचिका पर दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 12 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट में दीप सिद्धू ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था.
दिल्ली पुलिस ने सिद्धू को 9 फरवरी को हरियाणा के करनाल से गिरफ्तार किया था। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में लाल किले पर हुई हिंसा के संबंध में दर्ज एफआईआर में दीप सिद्धू और अन्य के नाम शामिल हैं। इन सभी पर हिंसा करने का आरोप है।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, 26 जनवरी को कुछ लोगों ने लाल किले में हुई हिंसा के बाद एक धार्मिक झंडा फहराया था। उनमें से कुछ की पहचान की गई है, जिनमें से दीप सिद्धू मुख्य आरोपी है। दिल्ली पुलिस ने दीप सिद्धू की जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि सिद्धू न सिर्फ उस दिन हिंसा में शामिल था बल्कि एक दिन पहले ही उसने पूरी साजिश रची थी. लोनी का रूट लेकर वह सीधा लाल क़िला पहुंचा था.
इतना ही नहीं उसने लोगों को झंडा फहराने के लिए उकसाया. इसके लिए 25 जनवरी, 2021 को बाकायदा सिंघु बॉर्डर पर एक मीटिंग की गई और 26 तारीख को दीप सिद्धू वहां पर 1 बजकर 54 मिनट पर पहुंचा था. इस हिंसा में 144 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए यह सब दीप सिद्धू की वजह से ही हुआ.
दीप सिद्धू के वकील अभिषेक गुप्ता ने कहा था कि दीप सिद्धू किसी भी किसान संगठन से जुड़ा हुआ नहीं है. ट्रैक्टर रैली के लिए उनकी तरफ से कोई भी घोषणा या आह्वान नहीं किया गया था और दीप सिद्धू ने लाल किला जाने के लिए भी नहीं कहा था. दीप सिद्धू के वकील ने कहा था कि सिद्धू लाल किला पर बहुत बाद में पहुंचा था, फोन रिकॉर्ड और दीप सिद्धू के रूट जांच एजेंसियों ने वेरीफाई की है.
उन्होंने कहा कि हिंसा की कोई भी वारदात दीप ने अंजाम नहीं दी. दीप सिद्धू वहां पर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन के लिए मौजूद था. वहां पर मौजूद भीड़ को शांत करवाने की कोशिश भी की. शांति से प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकारों से एक है.