बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिहा हुए सभी दोषियों को पक्ष बनाया जाए। हम देखेंगे कि वे माफी के हकदार हैं या नहीं। इस मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
बिलकिस बानो गुजरात की रहने वाली हैं। 2002 के दंगों के बाद वो अपना राज्य छोड़कर कहीं और जाना चाहती थीं। उनके साथ उनकी 3 साल की बच्ची और परिवार के 15 अन्य सदस्य भी थे। तब गुजरात में हिंसा भड़की हुई थी। 3 मार्च, 2002 को दंगे के बाद 5 महीने की प्रेग्नेंट बिलकिस बानो अपनी फैमिली के साथ एक सुरक्षित जगह की तलाश में छिपी थीं। इसी दौरान हथियारों से लैस भीड़ ने उनके परिवार पर हमला कर दिया। आरोप है कि इस हमले के बाद बिलकिस के साथ गैंगरेप किया गया और उनके परिवार के 7 लोग मारे गए। दंगे में उनकी 3 साल की बेटी को भी मार दिया गया।
गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी। बंबई हाईकोर्ट ने आरोपियों की सजा को बरकरार रखा था। आरोपियों को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया था। करीब 9 साल बाद सभी को गोधरा की सबजेल में भेज दिया था। इनमें से एक दोषी राधेश्याम ने सजा माफ करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।
शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को उसकी सजा की छूट के मुद्दे को 1992 की नीति के अनुसार उसकी दोषसिद्धि की तारीख के आधार पर देखने का निर्देश दिया था। इसके बाद, सरकार ने एक समिति का गठन किया और सभी दोषियों को जेल से समय से पहले रिहा करने का आदेश जारी किया।
क्यों भड़के थे गुजरात में दंगे?
27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे को जला दिया गया था। इसमें अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवकों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे।