अहमदाबाद में 2008 के सिलसिलेवार हुए बम धमाकों के मामले में आज गुजरात की अदालत ने 49 लोगों को दोषी ठहराया है तो, 28 को बरी कर दिया गया है। सिलसिलेवार हुए इन धमाकों में करीब 56 लोगों की मौत हो गई थी। करीब 70 मिनट के अंदर ही 21 बम धमाकों से पूरा देश हिल गया था। बता दें कि इस मामले में फैसला 2 फरवरी को ही आना था, लेकिन 30 जनवरी को ही स्पेशल कोर्ट के जज एआर पटेल कोरोना से संक्रमित हो गए, जिसके चलते फैसला टालना पड़ा।
एक घंटे के भीतर 21 सीरियल ब्लास्ट
यह मामला 26 जुलाई 2008 का है जब अहमदाबाद नगर पालिका क्षेत्र में एक घंटे के भीतर 21 सीरियल ब्लास्ट हुए थे। इस धमाके ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस विस्फोट में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। देश में इतने कम समय में इतने धमाके पहले कभी नहीं हुए थे। एक घंटे के अंदर अहमदाबाद में 21 धमाके हुए थे।
पुलिस का दावा था कि इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े लोगों ने इन बम धमाकों को अंजाम दिया था। इंडियन मुजाहिदीन को सिमी से जुड़ा संगठन बताया जाता है। आरोपों में यह भी कहा गया था कि इंडियन मुजाहिदीन ने यह धमाके 2002 में हुए गोधरा कांड के बाद हुए दंगों का बदला लेने के लिए किया था।
पुलिस ने अहमदाबाद में 20 प्राथमिकी दर्ज की थी, जबकि सूरत में 15 अन्य प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जहां विभिन्न स्थानों से बम बरामद किए गए थे। अदालत द्वारा सभी 35 प्राथमिकी को दर्ज करने के बाद मुकदमा चलाया गया, क्योंकि पुलिस जांच में दावा किया गया था कि “वे एक ही साजिश का हिस्सा थे।
इस हमले के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी आतंकियों की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। गुजरात के मौजूदा डीजीपी आशीष भाटिया के नेतृत्व में बेहतरीन अफसरों की टीम बनाई गई। विस्फोट के बाद तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह 27 तारीख को अहमदाबाद के दौरे पर आए थे।
19 दिन में पकड़े गए 30 आतंकी
मनमोहन सिंह के आने के बाद 28 जुलाई को गुजरात पुलिस की एक टीम बनाई गई और महज 19 दिनों में 30 आतंकियों को पकड़कर जेल भेज दिया गया। इसके बाद बाकी आतंकी समय-समय पर पकड़े जाते रहे हैं। अहमदाबाद में हुए धमाकों से पहले इंडियन मुजाहिदीन की इसी टीम ने जयपुर और वाराणसी में धमाकों को अंजाम दिया था। देश के कई राज्यों की पुलिस इन्हें पकड़ने में लगी हुई थी, लेकिन ये एक के बाद एक ब्लास्ट करते चले गए। अहमदाबाद धमाकों के दूसरे दिन यानि 27 जुलाई को सूरत में सीरियल ब्लास्ट हुए, लेकिन टाइमर में गड़बड़ी की वजह से ये धमाके नहीं हो पाए।
78 आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की हुई थी शुरुआत
अदालत की ओर से सभी 35 एफआईआर को एक साथ जोड़ देने के बाद दिसंबर 2009 में 78 आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की शुरुआत हुई थी। इनमें से एक आरोपी बाद में सरकारी गवाह बन गया था। मामले में बाद में चार और आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उनका मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने 1100 गवाहों का परीक्षण किया।