भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र में समुद्री तूफान ‘तौकते’(Cyclone Tauktae) तबाही मचा सकता है. विभाग के मुताबिक 17 मई को तौकते के खतरनाक तूफान में बदलने की आशंका है. इस तूफान की वजह से केरल और तमिलनाडु में बाढ़ आ सकती है. भारत में यह इस साल का पहला चक्रवाती तूफान है.
देश के दक्षिणी-पश्चिमी राज्यों में समुद्री तूफान ‘तौकते’ (Cyclone Tauktae) को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. अरब सागर में बन रहे इस चक्रवाती तूफान के चलते NDRF की 53 टीमों को प्रभावित राज्यों में तैनात किया जा रहा है.
ये तूफान पहले मचा चुके हैं तबाही
तौकते से पहले सुपर साइक्लोन अम्फान (Cyclone Amphan) ने तबाही मचाई थी. अम्फान से पहले कटरीना, निवार, निसर्ग, हुदहुद, फानी, बुलबुल, हिकाका, लैरी, लीजा और कटरीना भी समुद्रों से सटे देशों में बर्बादी फैला चुके हैं. इन तूफानों में लोगों को बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान सहना पड़ता है.
मौसम वैज्ञानिक कहते हैं कि जब गर्म क्षेत्रों के समुद्र में हवा गर्म होकर अत्यंत कम वायुदाब का क्षेत्र बना देती है तो संघनन से बादलों का निर्माण करती हैं. इसके बाद खाली स्थान को भरने के लिए नम हवाएं तेजी के साथ नीचे- ऊपर आती हैं. इसकी वजह से तेज हवाओं के साथ मूसलधार बारिश (Cyclone) होती है.
क्या आपने कभी सोचा है कि इन चक्रवातों का नाम कैसे रखा जाता है?
चक्रवात का नाम निर्धारित करने के पीछे एक इतिहास है और एक प्रक्रिया भी. चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत अटलांटिक क्षेत्र में 1953 में हुई एक संधि से की गई, जबकि हिंद महासागर क्षेत्र में यह व्यवस्था वर्ष 2004 में शुरू हुई.
भारत ने की नामकरण की पहल
भारत की पहल पर इस क्षेत्र के 8 देशों ने तूफानों का नामकरण शुरू किया. चक्रवातों का नामकरण विश्व मौसम विज्ञान संगठन/संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग एशिया और प्रशांत (WMO/ESCAP) पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन (PTC) द्वारा तय किया जाता है. पैनल में 13 देश शामिल हैं – भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, मालदीव, ओमान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन. ये 13 देश अपने क्षेत्र के चक्रवातों को नाम देते हैं.
सदस्य देश अपनी ओर से नामों की जो सूची देते हैं, उनकी अल्फाबेटिकल लिस्टिंग की जाती है. जैसे अल्फाबेट के हिसाब से सबसे पहले बांग्लादेश (Bangladesh), फिर भारत (India) और फिर ईरान (Iran) और अन्य देशों का नाम आता है, उसी क्रम में सुझाए गए नाम पर तूफानी चक्रवातों का नामकरण किया जाता है. हर बार अलग-अलग देशों का क्रम से नंबर आता रहता है और इसी क्रम में चक्रवातों का नामकरण हुआ करता है.
चक्रवात के नामकरण का लाभ
चक्रवातों का नामकरण वैज्ञानिक समुदाय, विशेषज्ञों, आपदा प्रबंधन टीमों और आम जनता को प्रत्येक चक्रवात की पहचान करने में मदद करता है. यदि इस क्षेत्र में एक साथ दो या दो से अधिक चक्रवात आ रहे हैं तो यह भ्रम दूर करता है. यह चक्रवात से जुड़ी चेतावनी को ज्यादा से ज्यादा लोगों में प्रभावी ढंग से प्रसारित करने मदद करता है, जिससे सामुदायिक तैयारियों को बढ़ावा मिलता है. जब पिछले चक्रवात का उल्लेख या चर्चा करने की आवश्यकता होती है तो यह नामकरण प्रक्रिया भविष्य के लिए मदद करती है.
तौकते साइक्लोन नाम किसने दिया?
हिंद महासागर में उठने वाले तूफानों (Cyclone) को नाम प्रदान करने के लिए एक खास प्रक्रिया बनी हुई है. इसके तहत हिंद महासागर क्षेत्र में अगर तूफान आने की आशंका बनती है तो भारत समेत 13 सदस्य अल्फाबेटिकली अपना नंबर आने पर उसे एक खास नाम प्रदान करते हैं. इस बार तूफान का नाम रखने की बारी म्यांमार (Myanmar) की थी. उसने इस तूफान का नाम ‘तौकते’ (Cyclone Tauktae) दिया है. जिसका अर्थ होता है- बहुत शोर मचाने वाली छिपकली.